बालबोध किस गुरु जी ने शुरू किया था
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O बालबोध किस गुरु जी ने शुरू किया था ?
➲ ‘बालबोध’ की रचना गुरु अंगद देव जी ने की थी।
सिखों की गुरुमुखी भाषा की लिपि गुरुमुखी को मानक रूप गुरु अंगद देव जी ने ही दिया था। हालाँकि गुरुमुखी लिपि का जन्म गुरु अंगद देव जी से पहले ही हो चुका था, लेकिन इस लिपि को सही व्यवस्थित और मानक रूप गुरु अंगद देव जी ने ही दिया। उन्होंने ही इस लिपि को ‘गुरुमुखी’ नाम दिया जो बाद में सिक्ख धर्म की प्रमुख लिपि बन गई। ‘गुरुमुखी’ का अर्थ है गुरु के मुख से निकलने वाले वाणी। गुरु अंगद देव जी ने गुरुमुखी लिपि में ही ‘बालबोध’ और रचना की। उन्होंने अपनी सारी वाणी की रचना भी इसी लिपि में की। उनकी वाणी गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित है। गुरु अंगद देव जी सिखों के दूसरे गुरु थे।जो 7 सितंबर 1539 से 29 मार्च 1552 ईस्वी तक सिखों की गुरुगद्दी पर विराजमान रहे।
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