बालगोबिन भगत अपने खेत में पैदा हुए अनाज को साहब के दरबार में क्यों ले जाते थे?
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कबीरपंथी मठ म is the right answer
बालगोबिन भगत अपने खेत में पैदा हुए अनाज को साहब के दरबार में क्यों ले जाते थे?
बालगोबिन भगत अपने खेत में पैदा हुए अनाज को साहब के दरबार में इसलिए ले जाते थे क्योंकि वह कबीर के पक्के अनुयाई थे। उनकी कबीर साहब में अगाध श्रद्धा थी। वह अपने खेत में पैदा हुए अनाज को सबसे पहले कबीर साहब के दरबार में ही भेंट करते थे और उसके बाद वहां से जो कुछ भी वापस मिलता उसी से अपने जीवन का निर्वाह करते थे।
वह कबीर को साहब कहते थे और कबीर के दिए गए उपदेशों और निर्देशों का श्रद्धापूर्वक पालन करते थे।
वह कबीरपंथी टोपी पहनते थे, जो कनपटी तक जाती थी। वह कबीर की तरह ही भगवान के निराकार रूप को मानते थे। वह कबीर द्वारा रचित पदों को ही गाते थे।उनके खेत में जो भी पैदावार होती वह उसे सिर पर लाद कर अपने साहब यानी कबीर के दरबार में पहुंचाते थे और सब कुछ भेंट के रूप में दरबार में रख देते थे। वापसी में जो कुछ मिलता, उसी से अपने जीवन का निर्वाह करते थे।
उन पर कबीर की विचारधारा का पूर्ण प्रभाव था, इसी कारण में कबीर की भांति ही समाज की रूढ़ियों का विरोध करते थे।
कबीर की भांति वह मृत्यु को दुख नहीं आनंद का अवसर मानते थे। कबीर ने आत्मा को परमात्मा की प्रेमिका कहा है, जो मृत्यु के बाद अपने प्रियतम यानि परमात्मा से मिल जाती है, मृत्यु दुख नही आनंद का अवसर है। इसीलिए उन्होंने अपने पुत्र की मृत्यु पर उसके शरीर को फूलों से सजाया और पास में दीपक जलाया उन्होंने अपनी बहू को भी रोने से मना कर दिया और दुख नही आनंद मनाने को कहा।
इस तरह बालगोबिन की कबीर पर अपार श्रद्धा थी और वे कबीर के बताये आदर्शों पर ही चलते थे।
#SPJ3
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