बालगोबिन भगत किन-किन सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे?
लेखक ने फ़ादर कामिल बुल्के को मानवीय करूणा की दिव्य चमक क्यों है
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O बालगोबिन भगत किन-किन सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे?
► बालोगोबिन भगत समाज की अनेक कुरीतियों को नही मानते थे, जैसे समाज में एक मान्यता व्याप्त थी कि बेटा ही अपने पिता या पुत्र को मुखाग्नि दे सकता है, लेकिन बालगोबिन ने इस मान्यता के विरुद्ध जाकर अपने बेटे की चिता को अपनी बहू से मुखाग्नि दिलवाई। जब उनके बेटे की मृत्यु हो गई तो वह उसके बाद दुखी होने के बजाय उन्होंने समाज के विरुद्ध जाकर अपनी बहू के पुनर्विवाह करने की अनुमति भी दे दी। ये एक सामाजिक कुरुति पर प्रहार था, जहाँ विधवा-विवाह को बुरा समझा जाता था। इस तरह लेखक ने बालगोबिन पाठ के माध्यम से उस दौर में व्याप्त अनेक तरह की सामाजिक बुराइयों पर तीखा प्रहार किया है।
O लेखक ने फ़ादर कामिल बुल्के को मानवीय करूणा की दिव्य चमक क्यों है
► लेखक ने फादर कामिल बुल्के को मानवीय करुणा की दिव्य चमक इसलिये कहा है, क्योंकि फादर बुल्के में मानव के प्रति अगाध प्रेम, अपनत्व, करुणा, वात्सल्य भरा हुआ था। वह इतने सहृदय थे कि जो एक बार उनके निकट आ जाये तो वह हमेशा उनके निकट ही बने रहने का आकांक्षी रहता था। यदि किसी संकट की घड़ी मे उन्हें अपने किसी प्रियजन से मिलना होता तो कोई भी बाधा चाहे वो सर्दी, गर्मी, बरसात आदि हो, उन्हे नहीं रोक पाती थी। अपने प्रियजन के किसी भी संकट के समय वह इतनी प्रेम से सांत्वना देते कि लोग अपना दुख तक भूल जाते थे। वह सदैव मानव कल्याण के विषय में सोचते थे। फादर बुल्के के इन्हीं गुणों के कारण लेखक ने उन्हें मानवीय करुणा की दिव्य चमक कहा है
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Answer:
sorry I don't all have hdh