Hindi, asked by namanjain15925, 4 months ago

बालगोबिन भगत किन-किन सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे?
लेखक ने फादर कामिल बुल्के को मानवीय करूणा की दिव्य चमक क्यों कहा
है?​

Answers

Answered by akashsingh00143
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Answer:

बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। ये निम्नलिखित हैं -

(1) जब बालगोबिन भगत के बेटे की मृत्यु हुई उस समय सामान्य लोगों की तरह शोक करने की बजाए भगत ने उसकी शैया के समक्ष गीत गाकर अपने भाव प्रकट किए —“आत्मा का परमात्मा से मिलन हो गया है। यह आनंद मनाने का समय है, दु:खी होने का नहीं।“

(2) बेटे के क्रिया-कर्म में भी उन्होंने सामाजिक रीति-रिवाजों की परवाह न करते हुए अपनी पुत्रवधू से ही दाह संस्कार संपन्न कराया।

(3) समाज में विधवा विवाह का प्रचलन न होने के बावजूद भी उन्होंने अपनी पुत्रवधू के भाई को बुलाकर उसकी दूसरी शादी कर देने को कहा।

(4) अन्य साधुओं की तरह भिक्षा माँगकर खाने के विरोधी थे।

2::फादर बुल्के के मन में अपने प्रियजनों के लिए असीम ममता और अपनत्व था। इसलिए लेखक ने फादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ कहा है।

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