बालगोबिन भगत की पतोहू कैसी थी? उसका व्यवहार कैसा था
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खेती-बारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत वेशभूषा से साधु नहीं लगते थे परंतु उनका व्यवहार साधु जैसा था। वे कबीर के भगत थे। ... उनके खेत में जो पैदावार होती थी उसे लेकर कबीर के मठ पर जाते थे। वहाँ से उन्हें जो प्रसाद के रूप में मिलता था उसी में अपने परिवार का निर्वाह करते थे।
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बालगोबिन भगत की पतोहू सुंदर व सुशील थी।वह अच्छे स्वभाव की थी व सभी से अच्छा व्यवहार करती थी।
- बालगोबिन भगत साधु प्रवृत्ति के इंसान थे। सुबह उठकर नहा धोकर भजन कीर्तन करते , खेती बारी करते तथा पूरी उपज को दान में दे देते , वहां से जो भी प्रसाद में मिलता , उसी से घर चलाते थे।
- बालगोबिन ने बड़े उत्साह से अपने बेटे की शादी करवाई थी । उनकी बहू भी बहुत अच्छी थी, उनका बहुत खयाल रखती थी। दुर्भाग्य वश किसी बीमारी के चलते उनके बेटे की मृत्यु हो गई।
- बेटे की मृत्यु के समय जब लेखक बालगोबिन के घर गए , वहां जो उन्होंने दृश्य देखा , वे हैरान रह गए। बालगोबिन बेटे के पार्थिव शरीर के पास आसान जमाए गीत गा रहे थे। अपनी बहू को भी नहीं रोने से रहे थे। वे कह रहे थे कि यह तो उत्सव मनाने का दिन है । बेटे की आत्मा परमात्मा से मिल गई।
- बेटे का दा संसार भी बहू से ही करवाया। फिर बहू के बड़े भाई को बुलवाकर उसका दूसरा विवाह करने के लिए कहा। बहू कब मानने वाली थी? तब बालगोबिन ने कहा कि यदि तुम नहीं मानोगी तो मै ही घर छोड़कर चला जाऊंगा।
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