बालगोबिन भगत किसे अपना आदर्श मानते थे और क्यों ? सोदाहरण
स्पष्ट कीजिए।
Answers
बालगोबिन भगत कबीर को अपना आदर्थ मानते थे।
बालगोबिन भगत की कबीर में अगाध श्रद्धा थी। वह कबीर को साहब कहते थे और कबीर के दिए गए उपदेशों और निर्देशों का श्रद्धापूर्वक पालन करते थे। कबीर के प्रति उनकी श्रद्धा संकेत इस प्रकार थे...
• वह कबीरपंथी टोपी पहनते थे, जो कनपटी तक जाती थी।
• वह कबीर की तरह ही भगवान के निराकार रूप को मानते थे।
• वह कबीर द्वारा रचित पदों को ही गाते थे।
• उनके खेत में जो भी पैदावार होती वह उसे सिर पर लाद कर अपने साहब यानी कबीर के दरबार में पहुंचाते थे और सब कुछ भेंट के रूप में दरबार में रख देते थे। वापसी में जो कुछ मिलता, उसी से अपने जीवन का निर्वाह करते थे।
• उन पर कबीर की विचारधारा का पूर्ण प्रभाव था, इसी कारण में कबीर की भांति ही समाज की रूढ़ियों का विरोध करते थे।
• कबीर की भांति वह मृत्यु को दुख नहीं आनंद का अवसर मानते थे। कबीर ने आत्मा को परमात्मा की प्रेमिका कहा है, जो मृत्यु के बाद अपने प्रियतम यानि परमात्मा से मिल जाती है, मृत्यु दुख नही आनंद का अवसर है। इसीलिए उन्होंने अपने पुत्र की मृत्यु पर उसके शरीर को फूलों से सजाया और पास में दीपक जलाया उन्होंने अपनी बहू को भी रोने से मना कर दिया और दुख नही आनंद मनाने को कहा।
इस तरह बालगोबिन की कबीर पर अपार श्रद्धा थी और वे कबीर को ही अपना आदर्श मानते थे।
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