"बालगोबिन भगत की सच्ची भक्ति भावना थी" कथन कर आलोक में उनकी भक्ति भावना पर प्रकाश डालिये urgent plz
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बाल गोविंद की सच्ची भक्ति के कुछ उदाहरण मिलते हैं पाठ में जैसे,कि आषाढ़ के महीने में वे सुबह सुबह खेत में उतर जाते थे काम से काम करने के लिए वह इतना लिए काम करने में कि उन्हें पता नहीं चलता था कि वह पूरे की वह पूरे गीले हो चुके थे| वह वहां पर कबीर के दोहे गाते थे जिन्हें सुनकर छोटे-छोटे बच्चे भी अपना मन टटोल लेते थे और औरतें केलवा लेकर बैठ जाती थी और उनके मधुर से पद सुनती थी आसमान बादल से गिरे;धूप का नाम नहीं| उनके अकाउंट से निकले हुए एक-एक शब्द संगीत के जीने पर चढ़कर कुछ ऊपर स्वर्ग की ओर भेजे जा रहे थे| कृतिका की आय में वे सुबह-सुबह ही काम करने के लिए पहुंच जाते थे वहां पर सुबह-सुबह कबीर के दोहे गाने लग जाते थे और लोग भी वह सुनने के लिए सभी सुबह सुबह भी आ जाते थे वहां पर लोग सारे उन की मधुर आवाज को भी बहुत पसंद करते थे वह अपने साथ अपनी एक खंजड़ी रखते थे जिसको वह पद गाते हुए साथ में बजाते थे,जिससे लोगों को और भी आनंद मिलता था ग्रीष्म के समय में भी जब पूरे दिन भर थपथपाई गर्मी रहती थी | लेकिन,जैसे ही बाल गोविंद भगत जी अपने करंट से कबीर के दोहे गाने नागदा के लोगों को ऐसा लगता था कि मौसम बदलने लग गया है और उन्हें अब गर्मी नहीं लगती है
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THAT'S IT
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