बालगोबिन भगत प्राचीन मान्यताओं को नहीं मानते थे किस घटना के आधार पर यह सिद्ध होता है
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बाल गोबिन भगत प्राचीन मान्यताओं को नहीं मानते थे यह निम्न प्रसंगों के आधार पर सिद्ध होता है-
1. जब बाल गोबिन भगत के इकलौते पुत्र की मृत्यु हो जाती है तो वह उसके मृत शरीर के पास बैठकर गाने लगता है.फिर वह अपनी पुत्रवधू के निकट जाकर उसे भी शोक मनाने के स्थान पर उत्सव मनाने को कहता है. उसके अनुसार आत्मा परमात्मा से मिल चुकी है तो यह आनंद का विषय है. विरहिणी आत्मा अब अपने परमात्मा से मिल चुकी है. इसमें शोक मनाने की क्या आवश्यकता है? हमें तो इसमें उत्सव मनाना चाहिए
2. भगत के पुत्र की मृत्यु के पश्चात जब उसकी पुत्रवधू विधवा हो जाती है तो वह उससे दूसरा विवाह करने के लिए कहता है.यहां वह उस सामाजिक मान्यता का विरोध करता है जिसमें कि पति की मृत्यु के पश्चात पत्नी को विधवा होकर अकेले जीवन व्यतीत करना पड़ता है या फिर पति के साथ सती हो जाना पड़ता है.
इस प्रकार बाल गोविंद भगत प्राचीन मान्यताओं को नहीं मानते थे, अपितु उसके विरोधी थे.
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i do not answer these questio