Chinese, asked by rohitlamani50, 1 month ago

बालगोबिन भगत पाठ राम वृक्ष बोनीपुरी के द्वारा लिखी गई है | बालगोबिन भगत पाठ पाठ का मुख्य पात्र है |

बालगोबिन भगत के संगीत को जादू इसलिए कहा गया क्योंकि बालगोबिन भगत का संगीत हर वर्ष के आयु के लोगों पर समान रूप से असर करता है | उनके स्वर एक मधुर स्वर तरंग सी जाग जाती है | उनके मधुर गान को सुनकर बच्चे झूम उठते थे , खेतों पर काम करती औरतें गुनगुना उठती है , हलवाहों के पैर ताल से उठने लगते थे , रोपनी करने वालों की उँगलियाँ क्रम से चलने लगती थी | बालगोबिन भगत के संगीत सब को प्रभावित करता था |

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Answered by vipul999888
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1)'बालगोबिन  \: भगत'  \: पाठ  \: के \:  लेखक \:  'रामवृक्ष \\  बेनीपुरी' \:  हैं। \:  लेखक  \: बचपन  \: से \:  ही  \: बालगोबिन  \: भगत  \\ को  \: आदरणीय  \: व्यक्ति  \: मानता \:  आया \:  है। \:  लेखक \:  ब्राह्मण  \: था \\  और \:  बालगोबिन  \: भगत  \: एक  \: तेली  \: थे। \:  तेली \:  को  \: उस \:  समय  \: के \\  समाज  \: में  \: अच्छा  \: नहीं \:  समझा \:  जाता \:  था।

2)कबीर  \: के \:  भगत-बालगोबिन \:  भगत \:  गृहस्थी \:  होते \:  हुए \:  भी \\  साधु  \: थे। \:  उन्होंने \:  अपने \:  जीवन \:  में  \: कबीर  \: जी  \: का \\  जीवन \:  वृत्त \:  उतार \:  रखा  \: था।  \: वे \:  कबीर \:  जी  \: को  \\ अपना \:  साहब \:  मानते  \: थे। \:  उनकी  \: शिक्षाओं \:  पर \:  अमल \:  करते  \: थे।

3)बालगोबिन \:  भगत \:  का  \: संगीत \:  हर \:  आयुवर्ग  \: के  \: लोगों \:  पर \\  समान \:  रूप \:  से  \: असर \:  करता \:  था। \:  उनका \:  स्वर \:  अचानक \:  एक  \\ मधुर \:  स्वर  \: तरंग \:  झंकृत-सी  \: हो  \: उठती  \: है।  \: उनके \:  मधुर \\  गान  \: को  \: सुनकर \:  बच्चे  \: झूम  \: उठते  \: थे, \:  मेंड़ \:  पर  \: खड़ी  \: औरतों  \\ के \:  होंठ \:  गुनगुना  \: उठते  \:   थे,  \: हलवाहों  \: के \:  पैर \:  ताल \:  से   \: उठने  \: से  \\ लगते \:  थे  \: और \:  रोपनी  \: करने \:  वालों \:  की  \: अँगुलियाँ \:  क्रम \:  से \\  चलने  \: लगती  \: थीं।

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\bold\star\mathtt{\fcolorbox{red}{pink}{10\:thank=20\:thanks}}

Answered by ksuresh41239
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\: \huge\underline\bold{\mathtt{\red{A{\pink{N{\green{S{\blue{W{\purple{E{\orange{R}}}}}}}}}}}}}ANSWER

\begin{gathered}1)'बालगोबिन \: भगत'  \: पाठ  \: के \: लेखक \: 'रामवृक्ष \\ बेनीपुरी' \: हैं। \: लेखक \: बचपन \: से \: ही  \: बालगोबिन \: भगत  \\ को \: आदरणीय \: व्यक्ति \: मानता \: आया \: है। \: लेखक \: ब्राह्मण \: था \\ और \:  बालगोबिन \: भगत  \: एक \: तेली \: थे। \: तेली \: को \: उस \: समय \: के \\ समाज \: में \: अच्छा \: नहीं \: समझा \: जाता \: था।\end{gathered}1)′बालगोबिनभगत′ पाठ केलेखक′रामवृक्षबेनीपुरी′हैं।लेखकबचपनसेही बालगोबिनभगत कोआदरणीयव्यक्तिमानताआयाहै।लेखकब्राह्मणथाऔर बालगोबिनभगत एकतेलीथे।तेलीकोउससमयकेसमाजमेंअच्छानहींसमझाजाताथा।

\begin{gathered}2)कबीर \: के \:  भगत-बालगोबिन \: भगत \:  गृहस्थी \: होते \: हुए \: भी \\ साधु \: थे। \: उन्होंने \: अपने \: जीवन \: में \: कबीर \: जी \: का \\ जीवन \: वृत्त \: उतार \: रखा \: था। \: वे \: कबीर \: जी \: को \\ अपना \: साहब \: मानते \: थे। \: उनकी \: शिक्षाओं \: पर \: अमल \: करते \: थे।\end{gathered}2)कबीरके भगत−बालगोबिनभगत गृहस्थीहोतेहुएभीसाधुथे।उन्होंनेअपनेजीवनमेंकबीरजीकाजीवनवृत्तउताररखाथा।वेकबीरजीकोअपनासाहबमानतेथे।उनकीशिक्षाओंपरअमलकरतेथे।

\begin{gathered}3)बालगोबिन \: भगत \: का \: संगीत \: हर \:  आयुवर्ग \: के  \: लोगों \: पर \\ समान \: रूप \: से \: असर \: करता \:  था। \: उनका \: स्वर \: अचानक \: एक \\ मधुर \: स्वर \: तरंग \: झंकृत-सी \: हो \: उठती \: है। \: उनके \: मधुर \\ गान \: को \: सुनकर \: बच्चे \: झूम \: उठते \: थे, \: मेंड़ \:  पर  \: खड़ी \: औरतों \\ के \: होंठ \: गुनगुना \: उठते \: थे, \: हलवाहों \: के \: पैर \: ताल \: से \: उठने \: से \\ लगते \: थे \: और \: रोपनी \: करने \: वालों \: की \: अँगुलियाँ \: क्रम \: से \\ चलने \: लगती \: थीं।\end{gathered}3)बालगोबिनभगतकासंगीतहर आयुवर्गके लोगोंपरसमानरूपसेअसरकरता था।उनकास्वरअचानकएकमधुरस्वरतरंगझंकृत−सीहोउठतीहै।उनकेमधुरगानकोसुनकरबच्चेझूमउठतेथे,मेंड़ पर खड़ीऔरतोंकेहोंठगुनगुनाउठतेथे,हलवाहोंकेपैरतालसेउठनेसेलगतेथेऔररोपनीकरनेवालोंकीअँगुलियाँक्रमसेचलनेलगतीथीं।

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