Hindi, asked by bableshrajak900, 3 months ago

बालक बालक गोखले ने अपनी ईमानदारी का परिचय किस प्रकार दिया​

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Answered by priyankashukla2913
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परम देशभक्त श्रीयुत गोपाल कृष्ण गोखले बाल्यावस्था में जब स्कूल में पढते थे, तब एक दिन शिक्षक ने कुछ हिसाब घर से करके आने के लिए दिये। गोपाल कृष्ण को उनमें एक प्रश्न नहीं आता था, इसलिए उसे दूसरे विद्यार्थी की मदद से कर लिया। स्कूल में सब लड़कों की कापी देखी गयी, केवल गोपाल कृष्ण के सारे हिसाब सही निकले।

यह देखकर उनके शिक्षक बहुत प्रसन्न हुए और उनको कुछ इनाम देने लगे। बालक गोपाल कृष्ण ने इनाम तो लिया नहीं, वे उल्टॆ रोने लगे। यह देखकर शिक्षक को बहुत ही आश्चर्य हुआ और उनसे रोने का कारण पूछा। बालक ने हाथ जोड़कर नम्रता से कहा कि 'आपने तो यह समझा होगा कि इन सब सवालों के जबाव मैंने अपनी बुद्धि से निकाले हैं; पर यह सच नहीं है। इनमें से एक प्रश्य्न में मैंने अपने एक मित्र से मदद ली है। अब बतलाइये कि मैं इनाम पाने लायक हूँ या सजा पाने लायक?'

यह सुनकर शिक्षक बहुत ही प्रसन्न हुए और उनके हाथ में इनाम देते हुए कहा कि 'अब यह इनाम मैं तुझको तेरी सत्यप्रियता के लिए देता हूँ।'

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Answered by rohitkumargupta
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HELLO DEAR,

Answer: गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म 9 मई सन 1866 को रत्नागिरी के कोटलुक गांव में हुआ था।वे बचपन से ही देश, जाति के प्रति निष्ठा ,निर्माण जैसे गुणों की शिक्षा दी।

गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म 9 मई सन 1866 को रत्नागिरी के कोटलुक गांव में हुआ था।वे बचपन से ही देश, जाति के प्रति निष्ठा ,निर्माण जैसे गुणों की शिक्षा दी।बालक गोखले की इमानदारी:-

गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म 9 मई सन 1866 को रत्नागिरी के कोटलुक गांव में हुआ था।वे बचपन से ही देश, जाति के प्रति निष्ठा ,निर्माण जैसे गुणों की शिक्षा दी।बालक गोखले की इमानदारी:-गोखले जब बचपन के समय में पढ़ते थे तब, 1 दिन शिक्षक ने कुछ हिसाब घर से घर के आने के लिए दिए। गोपाल कृष्ण को उनमें एक प्रश्न नहीं आता था इसलिए उसे दूसरे विद्यार्थी की मदद से कर लिया। स्कूल में सब लड़कों की कॉपी देखी गई केवल गोपाल कृष्ण के सहारे हिसाब सही निकले।

यह देखकर उनके शिक्षण बहुत प्रसन्न हुए और उनको कुछ भी नाम देने लगे। बालक गोपाल कृष्ण ने इनाम लिया नहीं वह उल्टी रोने लगे। यह देखकर शिक्षक को बहुत ही आश्चर्य होगा और उनसे रोने का कारण पूछा।बालक में हाथ जोड़कर नम्रता से कहा कि' आपने तो यह समझना होगा कि इन सब सवालों के जवाब मैंने अपनी बुद्धि से निकाले हैं पर यह सच नहीं है'। इनमें से एक प्रश्न में मैंने अपने एक मित्र से मदद ली है। अब बतलाइए कि मैं इनाम पाने लायक हूं या सजा पाने लायक?

यह सुनकर शिक्षक बहुत ही प्रसन्न हुई और उनके हाथ में इनाम देते हुए कहा कि 'अब यही नाम मैं तुझको तेरी सत्य प्रियता के लिए लेता हूं'

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