बालक भोलेनाथ बचपन में कौन कौन सा खेल खेला करता था in
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आज बच्चे अधिकाँश खेल कमरों में रहकर अकेले खेलना चाहते हैं। इन खेलों में प्रयुक्त सामग्री मशीन निर्मित होती है। इस प्रकार के खेलों से बच्चे का मन भी बनावटी हो जाता है | उनमें मित्रता, सहयोग आदि की भावना विकसित ही नहीं हो पाती | इसके विपरीत भोलानाथ के खेल खुले मैदानों में खेले जाते थे। इनमें पक्षियों को उड़ाना, खेती-बारी करना, बारात निकालना, भोज का प्रबंध करना आदि मुख्य थे। इन खेलों में काम आने वाली सभी वस्तुएँ हस्तनिर्मित होती थी | ये खेल साथियों के साथ खेले जाते थे, जिनसे सहभागिता, सद्भाव, मेल-जोल (मित्रता) आदि मूल्य विकसित होते थे। इसके अलावा इन खेलों की सामग्री में प्राकृतिक वस्तुएँ शामिल होती थीं जो प्रकृति से जुड़ाव और उसे संरक्षित करना सिखाती थी | इससे बच्चों के मन में समाज के साथ राष्ट्र-प्रेम का उदय एवं विकास होता था।
भोलानाथ व उसके साथी खेल के लिए आँगन व खेतों पर पड़ी चीजों को ही अपने खेल का आधार बनाते हैं। उनके लिए मिट्टी के बर्तन, पत्थर, पेड़ों के पत्ते, गीली मिट्टी, घर के समान आदि वस्तुएँ होती थी जिनसे वह खेलते व खुश होते। आज जमाना बदल चुका है। आज माता-पिता अपने बच्चों का बहुत ध्यान रखते हैं। वे बच्चों को बेफिक्र खेलने-घूमने की अनुमति नहीं देते। हमारे खेलने के लिए आज क्रिकेट का सामान, भिन्न-भिन्न तरह के वीडियो गेम व कम्प्यूटर गेम आदि बहुत सी चीज़ें हैं जो इनकी तुलना में बहुत अलग हैं। भोलानाथ जैसे बच्चों की वस्तुएँ सुलभता से व बिना मूल्य खर्च किए ही प्राप्त हो जाती हैं परन्तु आज खेल सामग्री स्वनिर्मित न होकर बाज़ार से खरीदनी पड़ती है। आज के युग में खेलने की समय-सीमा भी तय कर ली जाती है। अतः आज खेल में स्वच्छंदता नहीं होती है।
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Explanation:
बलाक भोलेनाथ बचपन में हर तरह के खेल खेला करता था