Hindi, asked by swarthidhakar, 1 month ago

बालक के विकास में माता-पिता का योगदान पर निबंध प्रतियोगिता​ 250 शब्दों में​

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Answered by Anonymous
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✍︎ANSWER✍︎

शिशु की पहली आचार्य माता ही होती हैं. हमारे नैतिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों की सीख माता-पिता से ही मिलती हैं. हर माँ बाप अपने बालक बालिका को विद्यालय भेजकर उन्हें शिक्षा दिलाने के हर सम्भव प्रयास करते हैं. गरीबी और अभावों के बीच अपना जीवन किसी तरह मजदूरी करके काटते हैं मगर अपने बच्चों को स्कूल भेजने की जिम्मेदारी का निर्वहन करते हैं. बच्चों को व्यवहारिक जीवन की शिक्षा माता पिता द्वारा ही मिलती हैं. वे हर सम्भव प्रयास द्वारा उन्हें अच्छी शिक्षा दिलाते हैं. विद्यालय में शिक्षक द्वारा उनका मार्गदर्शन किया जाता हैं. बालक गुरु द्वारा प्राप्त ज्ञान को अपनी दिनचर्या में उतारने का प्रयास माता-पिता की निगरानी में ही करते हैं. बालक में संस्कार और उसकी सभ्यता माता-पिता की बदौलत ही प्राप्त होती हैं. वे सदैव एक अच्छा नागरिक बनने के लिए अपने बच्चे को प्रोत्साहित करते हैं |

बालक के लिए स्कूल या घर में आज पुस्तकीय या सैद्धांतिक ज्ञान के अपार स्रोत हैं. जिन्हें दूसरे शब्दों में हम जानकारी भी कह सकते हैं. मगर इनका जीवन में उपयोग तथा सही गलत की पहचान माता-पिता द्वारा ही दी जाती हैं. जीवन में ईमानदारी, सत्य, परोपकार, अहिंसा और कठिन परिश्रम के गुण माता- पिता के अनुकरण द्वारा ही सीखे जाते हैं. सुख या दुःख की परिस्थतियों में कब कैसा व्यवहार किया जाए आदि व्यावहारिक नैतिक शिक्षा के आधार तो पेरेंट्स ही होते हैं |

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