'बालम, आवो हमारे गेह रे' कविता में वर्णित प्रियतम के विरह में विरहिणी की दारुण
दशा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
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'बालम, आवो हमारे गेह रे' कविता में वर्णित प्रियतम के विरह में विरहिणी की दारुण
दशा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
प्रस्तुत पंक्ति में कबीर जी भगवान का आह्नान कर रहे है| वह अपने भगवान के प्यासे है| अपने भगवान के दर्शन पाने के लिए उन्हें अपने पास बुला रहे है| कबीर जी ने अपने आप को निगुर्ण भक्ति धारा का वर्णन कर रहे है| कबीर जी को ईश्वर को पति मानकर उसे अपने पास बुलाने से भाव यही है कि आत्मा परमात्मा की प्यासी है|
भगवान के दर्शन के लिए मेरा मन व्याकुल हो रहा है| मेरी आँखे देखने को तरस रहे है| भगवान को देखने के लिए प्यासी है| आपने दर्शन पाने के लिए मन बहुत व्याकुल है|
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