Hindi, asked by garimajatav246, 6 months ago

“ बालम, आवो हमारे गेह रे।” में कबीर अपने आराध्य और स्वयं के बीच किस संबंध को मानते हैं​

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Answered by shishir303
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‘बालम आवो हमारे गेह रे’ में कबीर अपने आराध्य और स्वयं के बीच प्रेमी-प्रेमिका का संबंध मानते हैं।  

कबीर अपने आराध्य ईश्वर को प्रेमी या पति के रूप में मानते हैं और स्वयं को उनकी प्रेमिका। इस तरह वह बालम आवो हमारे गेह रे में ईश्वर का आह्वान कर रहे हैं। वह अपने आराध्य की एक झलक के प्यासे हैं और उनकी इच्छा है कि उनके आराध्य के एक बार दर्शन हो जाए, इसलिए वह स्वयं को ईश्वर के प्रति समर्पित कर चुके हैं, स्वयं को उनकी प्रेमिका मानकर अपने आराध्य का प्रेमी या पति के रूप में आह्वान कर रहे हैं।  यहाँ कवि निर्गुण प्रेम का प्रतीक बनकर भी सगुण प्रेम के रूप में ईश्वर को पाने की कामना कर रहे हैं।

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