बिलस्य वाणी न कदापि में श्रुती ।
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बिलस्य वाणी न कदापि में श्रुता
- प्रस्तुत पाठ संस्कृत के प्रसिद्ध कथाग्रन्थ 'पञ्चतन्त्रम्' के तृतीय तन्त्र ‘काकोलूकीयम्' में संकलित है।
- पञ्चतन्त्र के मूल लेखक विष्णुशर्मा हैं। इसमें पाँच खण्ड हैं जिन्हें
- ‘तन्त्र' कहा गया है। इनमें गद्य-पद्य रूप में कथाएँ दी गयी हैं जिनके पात्र मुख्यत:पशु-पक्षी हैं।
This lesson is a important lesson about animals and birds
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