बिलवासी जी ने अंग्रेज से लोटे का सौदा कैसे तय किया?
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बिलवा सी जी ने कहा कि यह लोटा काफी पुराना है और यह यह बहुत ही बहुमूल्य है यह सुनकर अंग्रेज जिसे अपने साथी को छुड़ाने के लिए पुरानी चीजों को इकट्ठा करना पसंद था उसने इसे खरीद लिया
पंडित बिल वासी मिश्र अंग्रज को एक झूठी कहानी सुनाते हैं और यह विश्वास दिला देते हैं कि यह लोटा ऐतिहासिक
'अकबरी लोटा' है | म्यूजियम वालों को यदि इसका पता चल जाए तो वे इसे ऊँचे दामों पर खरीद लेंगे | वे उसे यह भी विश्वास दिला देते हैं कि वे स्वयं भी इस लोटे को खरीदना चाहतें हैं | अंग्रेज भी पुरानी वस्तुऐं खरीदने का शौकीन था | वह भी इस लोटे को खरीदना चाहते हैं | पंडित जी उसे कहते हैं कि जो उसकी अधिक बोली लगाएगा वही इसे प्राप्त कर लेगा | इस प्रकार पचास रूपये से बोली शुरू हुई और पाँच सौ रूपये में अंग्रेज द्वारा लोटा खरीदा गया | इस प्रकार मनोवैज्ञानिक ढंग से पंडित जी ने सोदा तय किया |