बीमा कानून (संशोधन) विधेयक, 2015 के प्रमुख परिणामों में से एक भारतीय बीमा कंपनियों में विदेशी निवेश की सीमा में वृद्धि थी। यह बदलाव क्या था?
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प्रमुख पहल
बीमा विधि (संशोधन) अधिनियम, 2015
बीमा विधि (संशोधन) विधेयक, 2015 लोक सभा द्वारा 4 मार्च, 2015 और राज्य सभा द्वारा 12 मार्च, 2015 को पारित किया गया था, इस प्रकार बीमा अधिनियम, 1938, सामान्य बीमा कारोबार (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम, 1972 और बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) अधिनियम, 1999 में संशोधनों से संबंधित प्रमुख सुधारों के लिए मार्ग प्रशस्त हुआ। बीमा विधि (संशोधन) अधिनियम, 2015, 23 मार्च, 2015 को लागू हुआ जिसने अखंड रूप से बीमा विधि (संशोधन) अध्यादेश, 2014 को प्रतिस्थापित किया जो कि 26 दिसम्बर, 2014 को लागू हुआ था।
संशोधन अधिनियम द्वारा विधायनों में मौजूद अप्रचलित एवं अनावश्यक उपबंधों को हटाया गया तथा भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) को उसके कार्यों को अधिक प्रभावशाली तरीके तथा निपुणता से पूरा करने के लिए सुनम्यता हेतु कुछेक उपबंधों को समाविष्ट किया गया है। इसमें भारतीय बीमा कंपनी में विदेशी निवेश सीमा को भारतीय स्वामित्व एवं नियंत्रण की संरक्षण के साथ 26% से 49% की स्पष्ट संयुक्त सीमा तक वृद्धि के लिए भी प्रावधान किया गया है।
विदेशी निवेश के संबंध में नियम और विनियम
सरकार ने विदेशी निवेशकों द्वारा इक्विटी शेयरों की धारिता के तरीकों के संबंध में भारतीय बीमा कंपनी (विदेशी निवेश) अधिनियम, 2015 बनाया है। इन नियमों में आईआरडीए द्वारा भारतीय बीमा कंपनियों में विदेशी निवेश के संव्यवहार के संबंध में भारत सरकार की मौजूदा एफडीआई नीति के अनुसार स्थायी/प्रचलित विनियमों एवं कार्यकलापों को समाविष्ट किया गया है। उक्त नियम 19 फरवरी, 2015 को भारत के राजपत्र में अधिसूचित किए गए थे।
तदनन्तर में सरकार ने 3 जुलाई, 2015 को अधिसूचित भारतीय बीमा कंपनी (विदेशी विनिधान) संशोधन नियम, 2015 द्वारा “भारतीय स्वामित्व” शब्द को परिभाषित करते हुए भारतीय बीमा कंपनी (विदेशी विनिधान) नियम, 2015 के नियम 2 (1) के संबंध में स्पष्टीकरण जारी किया।
इसके अतिरिक्त, भारतीय बीमा कंपनी (विदेशी विनिधान) नियम, 2015 में भारतीय बीमा कंपनी (विदेशी विनिधान) संशोधन नियम, 2016 के द्वारा संशोधन किया गया।
इसके अतिरिक्त, 26% से अधिक और 49% तक विदेशी निवेश के लिए सरकारी चैनल के माध्यम के बजाए स्वचालित चैनल (आटोमेटिक रूट) के जरिए बीमा क्षेत्र में 49% तक विदेशी निवेश हेतु सक्षम बनाने के लिए भारतीय बीमा कंपनी (विदेशी विनिधान) अधिनियम, 2015 को 16 मार्च, 2016 को अधिसूचित भारतीय बीमा कंपनी (विदेशी विनिधान) संशोधन अधिनियम, 2016 के द्वारा संशोधित किया गया था।
विदेशी निवेश की गणना की पद्धति बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (भारतीय बीमा कंपनियों का पंजीकरण) (सातवां संशोधन) विनियम, 2016 और बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (भारतीय बीमा कंपनियों का पंजीकरण) (आठवां संशोधन) विनियम, 2016 के विनियम 11 द्वारा अभिशासित है।
गांधीनगर अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय टेक-सिटी (जीआईएफटी) एक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केन्द्र (आईएफएससी) के रूप में
अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केन्द्र (आईएफएससी) एसईजैड अधिनियम, 2005 की धारा 18 के अनुसार स्थापित किया गया है। एक एसईजैड में केवल एक आईएफएससी स्थापित किया जा सकता है। गांधीनगर अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय टेक-सिटी (जीआईएफटी) भारत में अपनी तरह की पहली, वैश्विक वित्त एवं आईटी सेवा केन्द्र है जिसे वैश्विक बेंचमार्क वाले वित्तीय केन्द्रों से बेहतर या उनके समान तैयार करना है। जीआईएफटी एसईजैड में संबद्ध कार्यकलापों और आईएफएससी के विकास पर मुख्यतया केन्द्रित होने के साथ गांधीनगर में आईएफएससी (अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केन्द्र) स्थिति के साथ बहु सेवा विशेष आर्थिक क्षेत्र, घरेलू वित्तीय केन्द्र तथा संयुक्त सामाजिक अवसंरचना को सुकर बनाती है। बहु सेवा एसईजैड का मुख्य केन्द्र (फोकस) वित्तीय सेवाओं पर है। सार्वजनिक क्षेत्र पुनर्बीमाकर्ता, जीआईसी-रे और न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (एनआईएसीएल) ने जीआईएफटी सिटी में आईएफएससी में अपने कार्यालय स्थापित किए हैं।
संबंधित अधिसूचना/दिशानिर्देश निम्नानुसार हैं: