बिन आए सबहीं सुख भूले । आए ते अंग-अंग सब फूले ।।
सीरा भई लगावत छाती । क्यों सखि साजन? ना सखि पाती।।। इस पंक्ती का भावर्थ बताओ
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whattttttttttttz
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c) A new public garden needs to be built in the city of Aurangabad. Which level of
government would be responsible for this
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पहले पंक्ति में एक सखी दुसरे सखी को पूछती है कि वो क्या है जिसके आने से हम अपना सब सुख भूल जाते है और हमारा अंग - अंग माने पूरा शरीर खुशी से झूम उठता है। फिर दूसरी पंक्ति में कहा गया है कि उस चीज़ को लगने से खूब संतुष्टि मिलती है। और अंत में जब पहली सखी अनुमान लगाती है कि वो साजन अर्थात मित्र तो नहीं है जिसपर दूसरी सखि बताती है कि वह पत्र है।
Explanation:
अंग-अंग फूलना - खुशी से झूम उठना।
सीरा होना - ठंडक मिलना अर्थात संतुष्टि मिलना
पाती - पत्र
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