बिनु गुपाल बैरिनि भई कुजैं । तब वै लता लगति तन सीतल , अब भई बिषम ज्वाल की पुंगे । वृथा बहति जमुना , खग बोलत , वृथा कमल - फूलनि अलि गुंजैं । पवन , पान , घनसार , सजीवन , दधि - सुत किरनि भानु भई भुजै । यह ऊधौ कहियौ माघौ सौं , मदन मारि कीन्हीं हम लुंगे । सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस कौं , मग जोवत आँखियाँ भई छुवै 1511
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हां भाई तुम दिल्ली स्कूल जाते हो जी हा में स्कूल शिक्षा
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बिनु गुपाल बैरिनि भई कुजैं । तब वै लता लगति तन सीतल , अब भई बिषम ज्वाल की पुंगे । वृथा बहति जमुना , खग बोलत , वृथा कमल - फूलनि अलि गुंजैं । पवन , पान , घनसार , सजीवन , दधि - सुत किरनि भानु भई भुजै । यह ऊधौ कहियौ माघौ सौं , मदन मारि कीन्हीं हम लुंगे । सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस कौं , मग जोवत आँखियाँ भई छुवै 1511
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