बिना खड़ी पाई वाले व्यंजन के नाम
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Answer:
बिना खड़ी पाई के। ङ, छ, ट, ठ, ड, ढ, द, र, को छोड़कर शेष व्यंजन पहले प्रकार के हैं।
Explanation:
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Answer: बिना खड़ी पाई के। ङ, छ, ट, ठ, ड, ढ, द, र, को छोड़कर शेष व्यंजन पहले प्रकार के हैं।
Explanation:
खड़ी पाई वाले व्यंजनों के संयुक्त रूप परंपरागत तरीके से खड़ी पाई को हटाकर ही बनाए जाएँ। यथा:–
ख्याति, लग्न, विघ्न
कच्चा, छज्जा
नगण्य
कुत्ता, पथ्य, ध्वनि, न्यास
प्यास, डिब्बा, सभ्य, रम्य
शय्या
उल्लेख
व्यास
श्लोक
राष्ट्रीय
स्वीकृति
यक्ष्मा
त्र्यंबक
सा कि हम सभी जानते हैं- प्रत्येक व्यन्जन वर्ण का उच्चारण स्वर के मेल के पश्चात ही होता है अर्थात बिना स्वर के कोई भी व्यन्जन वर्ण उच्चारित नहीं होता है। प्रत्येक व्यन्जन वर्ण में 'अ' स्वर स्वतः ही मिला होता है। हम वर्णमाला का अध्ययन प्रत्येक व्यन्जन में 'अ' स्वर के मिले होने की स्थिति में ही करते हैं।
हिन्दी वर्णमाला में ख, ग, घ, च, ज, झ, ञ, ण, त, थ, द, ध, न, प, ब, भ, म, य, ल व, श, ष, स, क्ष, त्र, ज्ञ, तथा श्र 'पाई' वाले व्यन्जन हैं। जिनका आधा वर्ण किसी व्यन्जन के पूर्व लगाने पर इन वर्णों की पाई हटा दी जाती है।
बिना पाई वाले व्यन्जन वर्ण जैसे- छ, ट, ठ, ड, ढ, द, ह के आधे वर्ण जब किसी अन्य व्यन्जन से मिलते हैं, तो पहले व्यन्जन में हलन्त लगाकर दूसरा व्यन्जन लिख देते हैं।
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