Hindi, asked by vinodvidyakar, 2 months ago

बिना तेरे गोरे बिगड़ता है और बिना लड़े सिपाही​

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Answered by Rameshjangid
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पूरा प्रश्न : ‘बिना फेरे घोड़ा बिगड़ता है और बिना लड़े सिपाही’-कथन की युक्तियुक्त विवेचना कीजिए।

उत्तरः उपर्युक्त पंक्ति में लेखक ने लोकानुभूति का वर्णन किया है। घोड़े को घुमाना और संध्या को उस धूल में लिटाना बहुत ही आवश्यक होता है। अगर किसी दिन घोड़े को घुमाया फिराय नहीं जाता हैं तो वह अड़ियल और आलसी हो जाता है । जिसके बाद वह आसानी से ताँगे में चलता नहीं है। इसके बाद यदि संध्या में उसे हम धूल में नही लिटाएँ तो भी उसकी दिनभर की थकान को दूर नही कर सकते है । इसलिए घोड़े को घुमाना फिराना आवश्यक है। इसी प्रकार सिपाही जब लड़ने जाता है तो उसे लड़ने के समय ही जोश आता है। लेकिन यदि उसे युद्ध के मैदान में लड़ने का अवसर ही न मिले तो वह बाद में सुस्त और आलसी हो जाता है। अंत मे उसका जोश भी समाप्त हो जाता है। जब लड़ने की बात की बात की जाती हैं तो यह सुनकर उसका खून फिर से उबलने लगता है इसलिए सिपाही का लड़ना भी बहुत आवश्यक है।

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