बिना देखे बिना सोचे किसी भी अनुमान तक नहीं सोचना चाहिए इस कथन पर अपने विचार लिखिए
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यहाँ लेखक का आशावादी व्यक्तित्व सामने आता है। जहाँ तक लेखक ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों का वर्णन किया है, लेखक ने धोखा भी खाया है। पर उसका मानना है कि अगर वो इन धोखों को याद रखेगा तो उसके लिए विश्वास करना बेहद कष्टकारी होगा और इसके साथ-साथ ये उन लोगों पर अंगुली उठाएगा जो आज भी ईमानदारी व मनुष्यता के सजीव उदाहरण हैं। यहीं लेखक का आशावादी होना उजागर होता है और उन्हीं लोगों का सम्मान करते हुए उनकी उपेक्षा नहीं करना चाहता जिन्होनें कठिन समय में उसकी मदद की है। सही मायने में यह बात एकदम उचित है और यही कारण है कि वो अभी भी निराश नहीं है।
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