बैन वही उनको गुन गाइ औ कान वही उन बैन सो सानी
हाथ वही उन गात सरै अरु पाइ वही जू वही अनुजानी ॥
जान वही उन आन के संग ओ मान वही जू करै मनमानी।
त्यौ रसखानि वही रसखानि जू है रसखानि सों है रसखानी॥ 1 ॥ ॥
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Answer:
The process by which green plants turn carbon dioxide and water into food using energy from sunlight.
पूरा प्रश्न : प्रस्तुत पद्यांश की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए l
बैन वही उनको गुन गाइ औ कान वही उन बैन सो सानी
हाथ वही उन गात सरै अरु पाइ वही जू वही अनुजानी ॥
जान वही उन आन के संग ओ मान वही जू करै मनमानी। त्यौ रसखानि वही रसखानि जू है रसखानि सों है रसखानी॥
उत्तर : प्रसंग- प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक मंजरी के पाठ 'भक्ति के पद' से लिया गया है। इसके रचयिता रसखान जी हैं।
संदर्भ- प्रस्तुत पद्यांश में रसखान जी ने श्रीकृष्ण के प्रति अपनी अगाध भक्ति और भक्ति की चर्चा की है।
व्याख्या-रसखान कहते हैं कि वाणी का अर्थ तभी है जब वाणी से प्रभु की स्तुति की जाती है और कान का अर्थ तब होता है जब कान से प्रभु की स्तुति सुनी जाती है। रसखान कहते हैं कि मनुष्य के जीवन का अर्थ है कि वह प्रभु के गुण गाता रहे और मन का अर्थ है कि वह सदा प्रभु का स्मरण करता रहे। रसखान कहते हैं कि श्रीकृष्ण अपने भक्तों को कभी क्रोधित नहीं करते और वे उनसे बहुत प्रेम करते हैं। वो खुशियों की खान है। उनसे जुड़ने में ही सुख है।
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