बाणभट्ट का संक्षिप्त परिचय दीजिए और शुकनास द्वारा चंद्रापीड़ को दिए गए उपदेश की व्याख्या कीजिए |
Answers
बाणभट्ट राजा हर्षवर्धन के दरबार में अस्थाना कवि थे जिन्होंने उत्तर भारत में पहले सी। 606- 647 ईस्वी से राज्य किया, पहले चरणिश्वर (थानेश्वर), और बाद में कन्नौज से।
Explanation:
बाना के प्रमुख कार्यों में हर्ष की जीवनी, "हर्षचरित" (हर्ष के कर्म) और दुनिया के सबसे पुराने उपन्यासों में से एक "कदंबरी" शामिल है।
कवि की प्रतिभा का चरमोत्कर्ष चंद्रपिड को दिए गए शुकनासपाद में दिखाई देता है। कवि की लेखनी एक भावोद्रेक में बहती दिखाई देती है। शुकनादवद्र में, ऐसा प्रतीत होता है कि सरस्वती मूर्ति के रूप में बोल रही है। इसमें ab बाणभट्ट ’शब्द को सही ढंग से प्रदर्शित किया गया है।
शुकन सिपादेश का नायक राजकुमार चंद्रपीड है, जो सत्व, शौर्य और अर्जव भाव से बना है। शुकुनस एक अनुभवी मंत्री हैं जो चंद्रप्रकाश को राज्याभिषेक के पूर्व वेंटिलेशन के साथ प्रचार करते हैं। वे युवा, सुलभ रूपों, यौवन, संप्रभुता और अपरिपक्वता में उत्पन्न होने वाले दोषों के बारे में सावधान रहना उचित समझते हैं। इसे युवावस्था में प्रवेश करने वाले सभी युवाओं को दिया जाने वाला 'निर्णायक भाषण' कहा जा सकता है।
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बाणभट्ट की आत्मकथा के लेखक का नाम
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