(ब) नख-धर मनुष्य अब एटम-बम पर भरोसा करके आगे
की ओर चल पड़ा है। पर उसके नाखून अब भी बढ़
रहे हैं। अब भी प्रकृति मनुष्य को उसके भीतर वाले
अस्त्र से वंचित नहीं कर रही है, अब भी वह याद दिला
देती है कि तुम्हारे नाखून को भुलाया नहीं जा सकता।
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bhaut accha tha par were is the question
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नाखून कर्मों बढ़ते हैं
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