Hindi, asked by Mingyurpaldon6939, 1 year ago

बाढ़ पर निबन्ध | Essay for Kids on Flood in Hindi

Answers

Answered by s7388
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1. भूमिका:

प्रकृति बाधा अनेक प्रकार से मनुष्यों और जीव-जन्तुओं को जीवन देती है, उन्हें पालती है, उन्हें लाभ पहुँचाती है, तो अनेक प्रकार उनका जीवन कष्टमय भी बना देती है और सहार भी कर डालती है । प्रकृति की लीलाओं में एक है- बाढ़, जिसकी याद आजाए तो रोंगटे खड़े हो जाते है जो कभी बाढ़ की चपेट में आया हो, वह इसे जीवन का एक अभिशाप मानता है ।

2. वर्णन:

बाढ़ अधिकतर वर्षा काल में ही आती है । बाढ़ का आना गर्मी के दिनों में भी संभव है । बाढ़ आने पर नदियाँ लबालब भर जाती हैं । पानी की धारा तेज हो जाती है और जहाँ नदियों के जल को रोकने के लिए बाँध नहीं बनाये गये, उन किनारों से होकर नदियों का पानी गाँवों तथा शहरों में तेजी से फैल जाता है ।

ब्रह्मपुत्र, गंगा, महानन्दा, दामोदर, हुगली, कोसी, गंडक, कमला, कावेरी, कृष्णा, सतलज आदि नदियाँ भारत में बाढ़ के लिए कुख्यात हैं । बाढ़ आने पर चारों ओर त्राहि-त्राहि (बचाओ-बचाओ) का शोर मचने लगता है । लोग अपने धन-दौलत का मोह त्याग कर अपनी जान बचाने में लग जाते हैं । चारों ओर तेजी से बहता हुआ पानी ही पानी नजर आता है ।

ऐसा लगता है जैसे घर, खेत-खलिहान, जानवर, पेडू-पौधे सबके ऊपर समुद्र छा गया हो । खेत-खलिहान सब नष्ट हो जाते हैं, अनेक जीव-जन्तु और व्यक्ति अपनी जान गवाँ बैठते हैं । उपजाऊ मिट्‌टी बह जाती है । घर डूब जाते हैं या टूट जाते हैं । हर तरफ जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है ।

3. कारण और उपाय:

बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है । पर्वतों पर जमी बर्फ पिघलने के कारण तथा अधिक वर्षा के कारण बाढ़ आती है । नदी अधिक गहरी न हो या जल के बहाव को व्यवस्थित करने का उपाय न हो, तो पानी किनारों को तड़डकर इधर-उधर बह जाता है । बाढ़ को रोकने केलिएमजबूत बाँध, झील और नहरों का होना आवश्यक है । नदी की गहराई बढ़ाने से भी बाढ़ रुक-सकती है ।

4. उपसंहार:

बाढ़ ऐसी प्राकृतिक आपदा है जिसे रोका न गया तो हर साल देश में भारी जन और धन की क्षति होती रहेगी जिससे हमारे देश को उन्नत बनने में सदियों लग जायेंगे ।

Answered by coolthakursaini36
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                                       बाढ़  

बाढ़ आज के इस विज्ञान के युग में मनुष्य भले ही बड़ी तरक्की कर ली है । आज हम दूसरे ग्रह पर भी पहुंच चुके हैं कई दिनों में होने वाले काम आज कुछ ही मिनटों में कर लेते हैं। अपना निजी काम करने के लिए हमने रोबोट तक बना लिए हैं फिर हम इतना विकास करने के बावजूद प्रकृति की शक्ति के आगे तिनके मात्र हैं कुदरत की शक्ति का अनुभव मेरे जीवन में ना भूलने वाली वो बाढ़ की तबाही है।

7 अगस्त 2018 का दिन था। पिछले 4 दिनों से मूसलाधार बारिश हो रही थी। मैं अपने दोस्तों के साथ घूमने के लिए उत्तराखंड गया हुआ था।

नदी नालों के पानी का स्तर काफी बढ़ चुका था। स्थानीय प्रशासन द्वारा चेतावनी दी गई कि कोई घर से बाहर ना निकले। हम घर की तरफ वापस आ रहे थे। देखते ही देखते सड़क पर बना पुल बह गया शहर के चारों तरफ पानी ही पानी था। गली मोहल्ले तालाबों में तब्दील हो गए। जिन गाड़ियों पर हम नाज करते हैं, वे घास के तिनकों की तरह बहने लगी I सारी की सारी पहाड़ियां दरकने लगी, भूस्खलन से सारे रास्ते बंद हो गए, हमारी बड़ी-बड़ी मशीनें क्षण में ही बेकार हो गई थी।

बहुत ही भयंकर मंजर था वो, लोग त्राहि त्राहि कर रहे थे, पानी का स्तर बढ़ता ही जा रहा था। कई मंजिला इमारतें जमींदोज हो गई। लोग सहायता के लिए चिल्ला रहे थे। एक क्षण में ही सब कुछ तहस-नहस हो गया था। हमें भी पुलिस के जवानों ने सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया था।

उस दिन की घटना याद करके मैं आज भी घबरा जाता हूं। और सोचता हूं कि प्रकृति से छेड़छाड़ का ही यह परिणाम है, अगर हमने समय रहते इस विषय पर ना सोचा तो ऐसी घटनाएं भविष्य में आम होंगी। अतः हम सबको मिलकर पर्यावरण संरक्षण पर कार्य करना चाहिए एवं प्रकृति के संतुलन को बना कर रखना चाहिए।  

आज के इस विज्ञान के युग में मनुष्य भले ही बड़ी तरक्की कर ली है । आज हम दूसरे ग्रह पर भी पहुंच चुके हैं कई दिनों में होने वाले काम आज कुछ ही मिनटों में कर लेते हैं। अपना निजी काम करने के लिए हमने रोबोट तक बना लिए हैं फिर हम इतना विकास करने के बावजूद प्रकृति की शक्ति के आगे तिनके मात्र हैं कुदरत की शक्ति का अनुभव मेरे जीवन में ना भूलने वाली वो बाढ़ की तबाही है।


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