Hindi, asked by kumarineta86, 5 months ago


ब)"पतनशील सामंती समाज झूठी शान के लिए जीता है"-'लखनवी अंदाज़' पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए |
-लता और भगत दोनोंपाक टसरेकी हित-चिंता में जिद पर अडेथे"-पशिकीजिए​

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Answered by shishir303
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"पतनशील सामंती समाज झूठी शान के लिए जीता है"-'लखनवी अंदाज़' पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए |

पतनशील सामंती समाज झूठी शान के आधार पर जीता है। ‘लखनवी अंदाज’ पाठ में यह बात लेखक ने पुरजोर तरीके से बताई है।

लेखक जब ट्रेन में चढ़ा तो तथाकथित नवाब साहब पहले से विराजमान थे। वह शायद खीरा चाह रहे थे। क्योंकि उन्हें खीरा खाना था इसीलिए उसे साथ लेकर आए थे। लेकिन लेकिन लेखक के सामने खीरा खाना उन्हें अपनी तौहीन लगा, क्योंकि वह खीरे को एक साधारण वस्तु समझते थे। यानि वह खीरे जैसी साधारण चीज छुपकर तो खा सकते थे, लेकिन दूसरों के सामने खाना अपना तौहीन समझते थे। यही उनकी पतनशील सोच थी।

वे दिखावे और पाखंड में जीते थे। इसलिए उन्होंने खीरा खाने का केवल दिखावा किया और खीरा बिना खाये ही ही फेंक दिया। इस तरह यह सिद्ध हो गया कि वह एक दिखावे की जान में जी रहे थे। पतनशील सामंती समाज लेखक ने इसलिए कहा है क्योंकि दिखावे में जीने वाले सामंती समाज चरित्र की दृष्टि से उज्जवल नहीं होते, वह अच्छा होने का ढोंग करते हैं, लेकिन गरीबों का शोषण करते हैं। दूसरों को अपने से छोटा समझते हैं।

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संबंधित कुछ अन्य प्रश्न—▼

'लखनवी अंदाज़' पाठ के आधार पर बताइए कि नवाब साहब पतनशील सामन्ती वर्ग के जीते जागते उदाहरण हैं। टिप्पणी कीजिए।

https://brainly.in/question/30963800

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लोग यथार्थ को स्वीकार करने में क्यों डरते हैं? लखनवी अंदाज पाठ के आधार  

पर बताओ।   नवाब साहब का खीरे का आग्रह अस्वीकार करना लेखक को अनुचित लगा।  

https://brainly.in/question/10805020

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Answered by INDRAJEET971
4

Answer:

यह रहा आपका आंसर

ऑल द बेस्ट

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