बार-बार आती है मुझको मधुर याद बचपन से।
गया, ले गया तू जीवन की सबसे मन खुशो मरी।
चिता-रहित खेलना खाना वह फिरना निर्भव स्वच्चाद।
कैसे भूला जा सकता है बचपन का अनुलित आनद।
ऊँच-नीच का ज्ञान नहीं था कुआछून किसने जानो।
बनी हुई थी आह झोपड़ी और चीथड़ों की रानी।
किए दूध क कुल्ले मैंने चूस अंगूठा सुधा पिया।
किलकारी कल्लोल मचाकर सूना घर आबाद किया।
उपर्युक्त पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
(क) कवयित्री को बचपन की याद क्यों आती है?
कवयित्री अपने बचपन का क्या नहीं भुला पाई है?
(ग) कवयित्री ने बचपन में किसकी अज्ञानता से श्रेष्ठ मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा दी है?
(घ) कवयित्री बचपन में क्या-क्या किया करती थी?
(ङ) पद्यांश से दो भाववाचक तथा दो जातिवाचक संज्ञा शब्द छाँटकर लिखिए।
(च) पद्यांश में प्रयुक्त द्वित्व व्यंजन वाले दो ऐसे शब्द लिखिए जो पद्यांश में प्रयुक्त न हुए हो।
(छ) पद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
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ye hamari car hai ye hum hai aur ye hamari pawri ho rahi hai
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