बार-बार आती है मुझको, मधुर याद बचपन तेरी।
गया, ले गया तू जीवन की सबसे मस्त खुशी मेरी।
चिंता-रहित खेलना खाना, वह फिरना निर्भय स्वच्छंद।
कैसे भूला जा सकता है, बचपन का अतुलित आनंद।
ऊँच-नीच का ज्ञान नहीं था, छुआछूत किसने जानी।
बनी हुई थी आह झोपड़ी और चीथड़ों की रानी।
किए दूध के कुल्ले मैने. चूस अँगूठा सुधा पिया।
किलकारी कल्लोल मचाकर, सूना घर आबाद किया।
उपर्युक्त पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
(क)) इस कविता में भाववाचक संज्ञाएं और जातिवाचक संज्ञा क्या है
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bachpan bhula chuachat(bhav vachk)
tu (jati vachk)
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जातिवाचक संज्ञा- स्वच्छंद
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