ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपियों का "वर्णन" किसने किया?
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Explanation:ब्राह्मी लिपि का परिचय**** ब्राह्मी लिपि भारत की प्राचीनतम लिपियों में से एक हैं। इसके प्रयोग के प्राचीन उदाहरण अशोक के अभिलेखों के रूप में उपलब्ध हैं इसके उद्गम के विषय मे अनेक सिद्धान्त प्रस्तुत किये गए हैं। इन सिद्धांतों को दो मुख्य धाराओं में विभक्त किया जा सकता हैं। 1)-विदेशी उत्पत्ति का सिद्धांत ,2)- स्वदेशी उत्पति का सिद्धांत। विदेशी उत्पति के सिद्धांत को मनाने वाले पुनः दो भागों में एवं तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है। (क) - यूनानी मूल से ब्राह्मी लिपि की उत्पत्ति-ब्राह्मी लिपि के यूनानी स्रोत से उत्पत्ति के पोषक अल्फ्रेड म्यूलर हैं। (ख)-सेमेटिक सिद्धांत से ब्राह्मी लिपि की उतपत्ति- विलियम जोनश इस सिद्धांत के मुख्य प्रस्तुत करता हैं इसे भी तीन भागों में विभक्त किया है 1-फिनीशीयान मूल 2-दक्षिण सेमेटिक मूल 3-उत्तर सेमेटिक मूल और स्वदेशी सिद्धांत को भी दो भागों में विभक्त किया जाता है। 1-दक्षिण मूल 2-आर्य मूल।
सिंधु घाटी की चित्रलिपि को छोड़ कर, खरोष्ठी भारत की दो प्राचीनतम लिपियों में से एक है। यह दाएँ से बाएँ को लिखी जाती थी। सम्राट अशोक ने शाहबाजगढ़ी और मनसेहरा के अभिलेख खरोष्ठी लिपि में ही लिखवाए हैं। इसके प्रचलन की देश और कालपरक सीमाएँ ब्राह्मी की अपेक्षा संकुचित रहीं और बिना किसी प्रतिनिधि लिपि को जन्म दिए ही देश से इसका लोप भी हो गया। ब्राह्मी जैसी दूसरी परिष्कृत लिपि की विद्यमानता अथवा देश की बाएँ से दाहिने लिखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति संभवत: इस लिपि के विलुप्त होने का कारण रहा हो।