ब्राह्मण की ‘अरणि' कौन ले गया था और क्यों ?
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पाण्डवों द्वारा मृग के पीछे दौड़ना
मैंने अपनी अरणी और मथानी एक वृक्ष पर रख दी थी। एक मृग वहाँ आकर उस वृक्ष से शरीर रगड़ने लगा और उसके सींग में वे दानों काष्ठ फंस गये। वह महान मृग उन काष्ठों को लेकर बड़ी उतावली के साथ भाग गया है और अत्यनत वेगवान होने के कारण चौकड़ी भरता हुआ शीघ्र ही आश्रम से बहुत दूर निकल गया है।
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