Hindi, asked by ksandeep00531, 9 months ago

बुराई में रस लेना बुरी बात है इस पंक्ति के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है।

Answers

Answered by ArchiShree
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Explanation:

लेखक आज के समय में फैले हुए डकैती ,चोरी, तस्करी और भ्रष्टाचार से बहुत दुखी है। आजकल का समाचार पत्र आदमी को आदमी पर विश्वास करने से रोकता है। लेखक के अनुसार जिस स्वतंत्र भारत का स्वप्न गांधी, तिलक, टैगोर ने देखा था यह भारत अब उनके स्वप्नों का भारत नहीं रहा। आज के समय में ईमानदारी से कमाने वाले भूखे रह रहे हैं और धोखा धड़ी करने वाले राज कर रहे हैं।

लेखक के अनुसार भारतीय हमेशा ही संतोषी प्रवृति के रहें हैं। वे कहते हैं आम आदमी की मौलिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कानून बनाए गए हैं किन्तु आज लोग ईमानदार नहीं रहे। भारत में कानून को धर्म माना गया है, किन्तु आज भी कानून से ऊँचा धर्म माना गया है शायद इसी लिय आज भी लोगों में ईमानदारी, सच्चाई है। लेखक को यह सोचकर अच्छा लगता है कि अभी भी लोगों में इंसानियत बाकी है उदहारण के लिए वेबस और रेलवे स्टेशन पर हुई घटना की बात बताते हैं।

इन उदाहरणो से लेखक के मन में आशा की किरण जागती है और वे कहते हैं कि अभी निराश नहीं हुआ जा सकता। लेखक ने टैगोर के एक प्रार्थना गीत का उदाहरण देकर कहा है कि जिस प्रकार उन्होंने भगवान से प्रार्थना की थी कि चाहे जीतनी विप्पति आये वे भगवान में ध्यान लगाएं रखें। लेखक को विश्वास है की एक दिन भारत इन्ही गुणों केबल पर वैसा ही भारत बन जायेगा जैसा वह चाहता है। अतः अभी निराश न हुआ जाय।

Answered by rajbirkaur4206
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Answer:

लेखक का विचार है कि कुछ लोग दूसरों की बुराई का रस लेकर प्रकट करते हैं जो कि बुरी बात है| दूसरों की बुराई को प्रकट करके आनंद लेना जितना बुरा है उससे कहीं अधिक बुरा दूसरों की अच्छाई को प्रकट न करना है| हमें अपने चारों ओर अनेक अच्छाइयाँ दिख जाएँगी लेकिन कोई उसे प्रकट नहीं करता| यदि कोई करता भी तो संकोच के साथ| अच्छाई को प्रकट करने से निश्चय से ही अच्छाई का वातावरण बनता है और बुराई को प्रकट करने से बुराई का| अत: किसी की अच्छाई को प्रकट करते हुए हमें कभी पीछे नहीं हटना चाहिए|

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