बेरोजगारी पर अनुच्छेद डेढ़ सौ शब्दों में
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भारत एक विकासशील देश है । इस समय इसके सम्मुख लगभग वे सभी समस्याएँ विद्यमान हैं जो प्राय: विकासशील देशों के सम्मुख होती हैं । उन समस्याओं में सर्वप्रमुख समस्या बेरोजगारी है । भारत में तीन प्रकार की बेरोजगारी पाई जाती है: पूर्ण बेरोजगारी, अर्द्ध बेरोजगारी तथा मौसमी बेरोजगारी ।
बेरोजगारी किसी भी प्रकार की क्यों न हो, किसी भी देश के लिए इसका सीमा से अधिक बढ़ना बहुत ही भयानक और विस्फोटक होता है । ग्रामीण और शहरी इलाकों के आधार पर बेरोजगारी का विश्लेषण करने पर हम पाते हैं कि शहरों में अधिक संख्या शिक्षित बेरोजगारों की होती है । गाँवों में तथा गाँवों से शहरों में आए बेरोजगारों में अशिक्षित बेरोजगारों की संख्या ही अधिक होती है ।
देहातों में रहने वाले किसानों को अर्द्ध-बेरोजगारी का सामना करना पड़ता है क्योंकि कृषि कार्य एक मौसमी उद्यम है । इसी कारण खेतिहर मजदूर वर्ष भर काम न मिलने के कारण अर्द्ध-बेरोजगार के रूप में समय गुजारते हैं । ग्रामीण इलाकों में आय का मुख्य साधन कृषि ही होता है । यद्यपि वहाँ हथकरघा या दस्तकारी से जुड़े कार्य भी किए जाते हैं, लेकिन उनमें रोजगार के अवसर सीमित होते हैं ।
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