बेरोजगारी,दुख,कर्ज व तनाव से निदान पाने का रास्ता नशा है क्या?नही है तो बेटे को नशे से कैसे बचाये और संस्कारी कैसे बनाये।निभहन्द
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बेटे को नशे से कैसे बचाएं और संस्कारी कैसे बनाएं (निबंध)
बेरोजगारी, कोई दुख, कर्ज, तनाव, चिंता, कुंठा आदि से निदान पाने का रास्ता नशा नहीं है, कदापि नहीं है। लेकिन युवा वर्ग नशे की गिरफ्त में आ ही जाता है। इसके अनेक कारण हो सकते हैं इसलिए अपने पुत्र को अपने बेटे को नशे से कैसे बचाया जाए और संस्कारी कैसे बनाया जाए यह एक गंभीर चिंतन का विषय है।
सर्वप्रथम माता पिता को शुरू से ही बच्चों को अच्छे संस्कार और अच्छी शिक्षा देने की आवश्यकता है। उन्हें अपने बच्चों पर नियमित नजर रखने की जरूरत है ताकि उनके बच्चे मार्ग से ना भटकें। बच्चों को अच्छी व उचित शिक्षा मिलेगी तो वह उन्हें सही रोजगार भी मिलेगा। बच्चों को उनकी अभिरुचि के अनुसार ही पढ़ाई करने की स्वतंत्रता दी जाए। हर बच्चे में एक विशेष प्रतिभा होती है, उसी प्रतिभा के अनुसार उसके जीवन को ढाला जाए तो वह अपने मन के अनुसार कार्य करने के कारण तनाव और कुंठा नहीं पालेगा और नशे की तरफ बढ़ने की संभावना कम होगी।
आजकल का है युवावर्ग आधुनिक जीवन शैली में नशे को फैशन का प्रतीक समझने लगा है। युवाओं के मन से इस भ्रामक बात को निकालने की जरूरत है कि नशा कोई फैशन का प्रतीक नहीं बल्कि शरीर और जीवन के लिए जहर है।
बेटे को नशे के दुष्प्रभाव बताते हुए साथी आवश्यकता से अधिक छूट ना दी जाए ताकि वह गलत लोगों की संगत में ना पड़े। पर बेटे पर शुरू से ही अनुशासन के दायरे में रखा जाए तो गलत लोगों की संगत में आने से बचेगा और नशे को अपनाने की संभावना कम होगी।
अक्सर घर के तरफ से अनापेक्षित दबाव और तनाव तथा कुंठा आदि भी नशे का कारण बनते हैं। मां-बाप बच्चों को वह बनाना चाहते हैं जो उनका बेटा बनना नहीं चाहता और ऐसी स्थिति में वो तनाव और कुंठा में नशे की ओर जाता है।
मां-बाप का सबसे पहला कर्तव्य है वो अपने बेटे आदि को उचित शिक्षा दें। उसके बच्चे किस दिशा में जाते हैं इसकी पूरी जिम्मेदारी मां बाप द्वारा लिए गए संस्कारों पर ही होती है। अगर बेटा गलत रास्ते पर चला है तो इसमें जरूर मां-बाप ने उसकी परवरिश में कोई कमी होगी। इसके लिए मां-बाप आकर शुरू से ही अपने बेटे पर ध्यान रखें तो उनका बेटा गलत रास्ते पर नहीं मुड़ सकता और ना ही नशे जैसी गलत व्यसन को अपनाएगा।