बैर क्रोध का अचार या मुरब्बा है तात्पर्य
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achar hai kyu ki ek.bar rishto mein khtass a jati h to mitane se bhi bhi mitti
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बैर क्रोध का अचार या मुरब्बा है तात्पर्य
बैर क्रोध का अचार या मुरब्बा है इस बात से तात्पर्य यह कि जिस तरह अचार या मुरब्बा को बनाकर हम उसे एक पात्र में लंबे समय के लिए रख लेते हैं। उसी तरह क्रोध को भी यदि हम अपनी मन रूपी पात्र में लेंगे तो वह धीरे-धीरे अचार या मुरब्बे की तरह पककर बैर का रूप धारण कर लेगा। कहने का तात्पर्य है कि क्रोध को मन में नही रखना चाहिये नही तो वह बैर का रूप धारण कर लेता है।
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