ब्रिक्स आज के दौर में कहां तक सफल रहा है स्पष्ट करें
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पांच सबसे उभरती अर्थव्यवस्थाओं- ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका यानि ब्रिक्स का दो दिवसीय सम्मेलन ब्राजील की राजधानी ब्रासीलिया में संपन्न हो गया। पांचों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच इस दौरान कई द्विपक्षीय मुलाकातें हुईं, संबंध और प्रगाढ़ कैसे हों इसके लिए रूपरेखाएं बनाईं गईं, वैश्विक चुनौतियों से मिलकर निबटने का संकल्प लिया गया, ब्रिक्स के सदस्य देशों ने व्यापार, नवोन्मेष, प्रौद्योगिकी एवं संस्कृति के क्षेत्रों में संबंधों को मजबूत बनाने पर चर्चा की। सम्मेलन के दौरान पांचों देशों के नेताओं ने प्रभावी ढंग से अपना पक्ष रखा, भारत के प्रधामनंत्री नरेंद्र मोदी भी वैश्विक चुनौतियों के प्रति बहुत गंभीर नजर आये और चाहे द्विपक्षीय मुलाकातें रहीं हों या यहां हुए उनके संबोधन, सभी से एक बात स्पष्ट रूप से उभर कर आयी कि भारत ने इस दौरान नये क्षेत्रों में सहयोग की तरफ कदम बढ़ाया और वैश्विक भविष्य का नेतृत्व देश कर सके इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी ने महत्वाकांक्षी मार्ग निर्धारित किया। प्रधानमंत्री जब ब्राजील के लिए रवाना हो रहे थे तब से लेकर प्रधानमंत्री जब सम्मेलन की समाप्ति के बाद स्वदेश रवाना हो रहे थे, तब तक की तसवीरें, वीडियो आदि देख लीजिये सभी में प्रधानमंत्री आत्मविश्वास से लबरेज नजर आ रहे हैं, विश्व नेताओं के साथ उनकी तारतम्यता एक अलग ही स्तर का सामंजस्य दर्शाती है।
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ब्रिक्स का महत्व
यह छठी बार है कि जब मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। पहली बार उन्होंने 2014 में फोर्टालेजा में ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लिया था। यह शहर भी ब्राजील में ही स्थित है। ब्रिक्स कितना महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा आपको इसी तथ्य से लग जायेगा कि इसके पांचों सदस्य देशों की आबादी दुनिया की करीब आधी आबादी के बराबर (3.6 अरब) है और इनकी सम्मिलित अर्थव्यवस्था 16,600 अरब डॉलर की है। लेकिन अभी इन देशों के बीच सहयोग उतना नहीं है जितना होना चाहिए जैसे कि अंतर-ब्रिक्स व्यापार, विश्व-व्यापार का सिर्फ 15% है।
प्रधानमंत्री के संबोधन की बड़ी बातें
प्रधानमंत्री ने ब्रिक्स व्यापार परिषद और नव विकास बैंक के साथ एक संवाद को संबोधित करते हुए कहा कि अगले शिखर सम्मेलन तक ब्रिक्स देशों के बीच आपसी व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य हासिल करने के लिए ब्रिक्स व्यापार परिषद को आगे का खाका तैयार करना चाहिए। उन्होंने वैश्विक आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने में इस बहुपक्षीय वित्तीय संस्थान को पूरा समर्थन देने की पेशकश भी की। अपने संबोधन में उन्होंने व्यापार के लिए अनुकूल सुधारों, जरूरत के अनुरूप नीतियों, राजनीतिक स्थिरता की वजह से भारत के दुनिया की सबसे खुली और निवेश के लिए अनुकूल अर्थव्यवस्था होने का जिक्र करते हुए बताया कि हम 2024 तक भारत को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना चाहते हैं। मोदी ने भारत में असीमित संभावनाओं और अनगिनत अवसरों पर जोर देते हुए ब्रिक्स देशों के कारोबारी दिग्गजों से इनका लाभ उठाने के लिए कहा।
आतंकवाद पर प्रहार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद जैसी गंभीर वैश्विक चुनौती पर भी करारा वार करते हुए दुनिया का ध्यान इस ओर दिलाया कि आतंकवाद से वैश्विक अर्थव्यवस्था को 1,000 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। उन्होंने आतंकवाद को विकास, शांति और समृद्धि के लिए ‘सबसे बड़ा खतरा’ करार दिया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद, आतंकवाद के वित्तपोषण, मादक द्रव्यों की तस्करी और संगठित अपराध की वजह से संशय का जो माहौल बना है उसका अप्रत्यक्ष तौर पर व्यापार और कारोबार पर गहरा असर पड़ा है। उन्होंने यह भी कहा कि 10 सालों में आतंकवाद से करीब सवा दो लाख लोगों की जानें गयीं और कई समाज बर्बाद हो गए। ब्रिक्स के संयुक्त बयान के अनुसार पांचों देशों ने आतंकवाद के हर स्वरूप की निंदा की और कहा कि यह किसी भी धर्म, राष्ट्र या सभ्यता से नहीं जुड़ा होना चाहिए। आतंकवादी घटनाओं को अपराध और अनुचित काम के तौर पर देखा जाना चाहिए। आतंकवाद पर ब्रिक्स के साझा बयान में जो कुछ कहा गया है, उसमें जरा इस लाइन पर ध्यान दीजिये, आपको भारत सरकार की बड़ी सफलता नजर आयेगी। इस लाइन में कहा गया है, ‘‘हम आतंकी नेटवर्कों और आतंकी गतिविधियों को वित्तीय मदद पहुंचाने से रोकने में सभी देशों की जिम्मेदारी याद दिला रहे हैं। इसमें सीमापार से चलाया जाने वाला आतंकवाद शामिल है।’’
जल और स्वास्थ्य की चिंता
जल की समस्या सिर्फ भारत के लिए ही नहीं बल्कि सभी देशों के लिए एक चुनौती है। इसीलिए प्रधानमंत्री ने शहरी क्षेत्रों में मजबूत जल प्रबंधन और साफ सफाई के प्रबंध को महत्वपूर्ण चुनौती बताते हुए कहा कि जल प्रबंध के संबंध में ब्रिक्स देशों का मंत्रिस्तरीय सम्मेलन शुरू किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने भारत के 'फिट इंडिया' अभियान का जिक्र करते हुए स्वस्थ जीवनशैली के क्षेत्र में भी आदान-प्रदान बढ़ाने का आह्वान किया। ब्रिक्स के साझा बयान में एक और महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि पांचों सदस्य देशों ने 2020 तक भारत और रूस में नव विकास बैंक के बचे हुए दोनों क्षेत्रीय कार्यालय खुल जाने की उम्मीद जतायी। नव विकास बैंक का मुख्यालय शंघाई में है। पहले इसे ब्रिक्स विकास बैंक कहा जाता था। इसमें ब्रिक्स समूह के सभी सदस्य देश शामिल हैं।