बुरे लोगों का साथ देने पर हमें उसका बुरा परिणाम भुगतना पड़ सकता है|' इस वाक्य पर अपने विचार लिखें|
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हाल ही में हमने दशहरा मनाया। बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है दशहरा, जहाँ लंकापति रावण का दहन यह सिद्ध करता है कि बुरा व्यक्ति कितना भी ताकतवर क्यों न हो, अंत में उसका विनाश ही होता है और अच्छाई की ही जीत होती है।
बुराई पर अच्छाई की जीत और बुरे काम का बुरा नतीजा जैसे वाक्यों की सच्चाई पर आज का युवा वर्ग विश्वास करता है। वाकई क्या यह वाक्य सच हैं? ऐसे ही प्रश्नों के उत्तर टटोलने के लिए हमने युवाओं से बातचीत की जिसमें युवाओं ने खुलकर अपने विचारों को अभिव्यक्त किया।
जैसा करोगे, वैसा भरोगे :- बीए थर्ड सेम की छात्रा प्रतिमा शाह का मानना है कि अच्छे व्यक्ति के साथ हमेशा अच्छा होता है। हम जो कार्य करते हैं उसके परिणाम हमें हमारे किए गए कार्य के अनुरूप ही प्राप्त होते हैं। इसलिए कोई भी कार्य करने से पहले हमें उसके अच्छे और बुरे दोनों परिणामों के बारे में विचार कर लेना चाहिए।
अच्छाई की होती हमेशा जीत :- मेहनत पर विश्वास रखने वाली अंकिता तिवारी का कहना है कि समय चाहे जैसा भी हो, अच्छाई और परिश्रम की हमेशा जीत होती है। हर धर्म में कर्म के मुताबिक फल मिलने की बात कही गई है। लोगों की सोच में भले ही परिवर्तन आ गया हो। लेकिन आज भी यदि कोई किसी का बुरा करता है उसके साथ भी बुरा होता है।
बुराई में भी होती है अच्छाई :- हमारा उद्देश्य अच्छा है, सोच अच्छी है और हम कुछ भला करने के लिए बुरा कर रहे हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है। पूनम कबीयानी का कहना है यदि हम किसी गलत कार्य को या किसी बुराई को रोकने या खत्म करने के लिए बुराई का रास्ता अपना रहे हैं, तो बुराई होने के बावजूद अच्छाई की श्रेणी में गिनी जाएगी।