। बुरे लोगों से संगति के बाद व्यक्ति में किसकी पहचान खत्म हो जाती है?
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मित्रों, बुरी संगत का अर्थ है –कुसंगति। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। जब तक वह समाज में संबंध स्थापित नहीं कर पाता है तब तक वह अपने जीवन को आगे नहीं बढ़ा पाता है। समाज में कई तरह के लोग होते हैं। कुछ अच्छे लोग तो कुछ बुरे लोग भी होते हैं। जब व्यक्ति की संगत अच्छी होती है तो उससे उसकी जड़ता को दूर किया जाता है। सत्संगति से मनुष्य की वाणी, आचरण में सच्चाई आती है। मनुष्य के अंदर से पापों का नाश होता है। इससे मनुष्य के अंदर की बुराईयाँ खत्म हो जाती है। लेकिन कुसंगति, सत्संगति की बिलकूल उल्टी होती है यह मनुष्य के अंदर बुराईयाँ पैदा करती है। कुसंगति मनुष्य को बुरे रास्ते पर ले जाती है। जो व्यक्ति सत्संगति के विरुद्ध होता है वह कुसंगति के अधीन होता है। यह कभी भी नहीं हो सकता कि मनुष्य कुसंगति के प्रभाव से बच सकता है। जो व्यक्ति दुष्ट और दुराचारी व्यक्तियों के साथ रहते हैं वे व्यक्ति भी दुष्ट और दुराचारी बन जाते हैं। इस संसार में व्यक्ति या तो बहुत ही अच्छी संगत पाता है या फिर बुरे व्यक्ति की संगत में पड़ जाता है क्योंकि समाज के अभाव में मानव का कोई भी अस्तित्व नहीं है।
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of course you are right
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