बारिश कैसे होती है और इंद्रधनुष कैसे बनती है
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बारिश या भाप के धूप के संपर्क में आने पर पानी की छोटी छोटी बूंदे पारदर्शी प्रिज्म का काम करती हैं. सूर्य का प्रकाश उनसे गुजरते हुए सात अलग अलग रंगों में टूट जाता है. और हमें इंद्रधनुष दिखाई पड़ता है. ... ऐसा तब होता है जब एक ही जगह मौजूद बूंदों के बार बार धूप के संपर्क में आने पर दो इंद्रधनुष दिखाई पड़ते हैं.
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आसमान में इंद्रधनुष का बनना बारिश की नन्ही बूँदों का कमाल है। बारिश के दिनों में बारिश की नन्ही-नन्ही बूँदें प्रिज्म का काम करती हैं। इंद्रधनुष के बनने का सिद्धांत यह है कि जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करता है थोड़ा सा झुक जाता है।
एक नन्ही बूँद में दो सतह होती है। जब सूर्य का प्रकाश बूँद के अंदर प्रवेश करता है तो पहली सतह से टकराकर वह थोड़ा झुक जाता है। अब यह हम जानते ही हैं कि सूर्य के प्रकाश में सात रंग होते हैं, तो रंगों के बंडल बूँद में प्रवेश करने के बाद अलग-अलग रंग अपने-अपने हिसाब से झुकते हैं और सातों रंग दिखलाई पड़ जाते हैं।
और फिर जब अलग-अलग हुए रंग दूसरी सतह से बाहर निकलते हैं तो फिर से थोड़ा-थोड़ा झुक जाते हैं और एक रंग का एक पट्टा दूसरे से अलग हो जाता है। इस तरह दो बार झुकने के कारण हमें रंगीन धनुष जैसी आकृति आसमान में दिखलाई पड़ती है जिसे हम इंद्रधनुष कहते हैं। लाल रंग का प्रकाश कम मुड़ता है और इसलिए वह इंद्रधनुष में सबसे ऊपर दिखाई देता है जबकि बैंगनी रंग का प्रकाश सबसे ज्यादा मुड़ता है इसलिए वह सबसे नीचे होता है।