Hindi, asked by rishiraj57240, 8 months ago

बारिश से उत्पन्न परेशानि” अथवा
समस्याओं से बचाव के लिए उपाय एवं
सावधानियाँ विषय पर जारी मित्र के साथ
सांवद लिखिए​

Answers

Answered by dhanrajpandidhar
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Explanation:

अमरीका में तड़ित झंझा की घटनाएं अधिक होती है। यहां के फ्लोरिडा शहर को ‘विश्व की तड़ित झंझा राजधानी के नाम से भी जाना जाता है। हमारे देश में भी मानसून के समय तड़ित झंझा की सैकड़ों घटनाएं घटित होती हैं। प्रतिवर्ष इस घटना से कुछ लोगों की मौत भी हो जाती है। तड़ित झंझा से जान जाने के अलावा विद्युत उपकरणों के क्षतिग्रस्त होने का भी खतरा रहता है। सन् 1990 में तड़ित झंझा के कारण जम्मू में विद्युत टेलीफोन एक्सचेंज के कई यंत्र खराब हो गए थे। इसी प्रकार वर्ष 1991 में मध्य प्रदेश की आग लगने से एक सरकारी बैंक के महत्वपूर्ण दस्तावेज जल गए थे।

Answered by Anonymous
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अमरीका में तड़ित झंझा की घटनाएं अधिक होती है। यहां के फ्लोरिडा शहर को ‘विश्व की तड़ित झंझा राजधानी के नाम से भी जाना जाता है। हमारे देश में भी मानसून के समय तड़ित झंझा की सैकड़ों घटनाएं घटित होती हैं। प्रतिवर्ष इस घटना से कुछ लोगों की मौत भी हो जाती है। तड़ित झंझा से जान जाने के अलावा विद्युत उपकरणों के क्षतिग्रस्त होने का भी खतरा रहता है। सन् 1990 में तड़ित झंझा के कारण जम्मू में विद्युत टेलीफोन एक्सचेंज के कई यंत्र खराब हो गए थे। इसी प्रकार वर्ष 1991 में मध्य प्रदेश की आग लगने से एक सरकारी बैंक के महत्वपूर्ण दस्तावेज जल गए थे।उमस भरी गर्मी के बाद सभी को बारिश का बेसब्री से इंतजार होता है। बारिश की पहली फुहार सभी का मन मोह लेती है। धरती, जंगल, नदियां और मानव सभी पहली बारिश से सराबोर होकर गर्मी से निजात मिलने की उम्मीद संजोए रखते हैं। लेकिन बारिश के इस आनंद के साथ ही कुछ समस्याएं भी आती हैं जिन्हें हम आसमानी कहर कह सकते हैं। ऐसी समस्याओं में बादलों का फटना और बिजली का चमकना प्रमुख है जिन पर हमारा कोई बस नहीं होता। बारिश के मौसम में पहाड़ी क्षेत्रों में अक्सर बादल फटने की घटनाएं होती हैं। बादल फटने के कारण एक छोटे क्षेत्र में कम समय में ही मूसलाधार बारिश हो सकती है। ऐसी बारिश आकस्मिक बाढ़ का कारण बनती है, जिससे उस क्षेत्र की संपत्ति और जन-जीवन को भारी नुकसान होता है। मूसलाधार वर्षा के कारण नदी-नाले भी उफान पर आ जाते हैं जिसे नदी-नालों की अपरदन शक्ति बढ़ जाती है। इस कारण भू-स्खलन की गति भी तेज हो जाती है। बादल फटने के दौरान कई बार भू-स्खलन की घटनाएं इस आपदा को और अधिक बढ़ा देती है जिससे जान-माल को भारी हानि होती है।

बादल फटने से भारी मात्रा में मृदा पानी के साथ बह जाती है। इस प्रकार आई बाढ़ से निचले क्षेत्रों में कई किमी तक गाद भर जाती है, जिससे उन क्षेत्रों में अस्थायी झील का निर्माण हो जाता है। लेकिन जब यह अस्थायी झील पानी के दबाव या अन्य कारणों से अचानक टूटती है तब उन इलाकों में भारी तबाही मचती है। वर्ष 2005 में रुद्रप्रयाग-केदारनाथ राष्ट्रीय मार्ग से सटे अगस्त्यमुनि और विजयनगर के ऊपर धन्यू के जंगलों में बादल फटने के बाद अतिवृष्टि से जमा हुए मलबे में अनेक लोग जिंदा दफन हो गए थे। सन 2005 में ही एक प्रसिद्ध धर्मस्थल हेमकुंड के मार्ग में बादल फटने से 11 लोग मलबे में दबकर मर गए थे। हिमाचल प्रदेश की कुल्लू घाटी के समीप रोहतांग दर्रे का क्षेत्र भी बादल फटने की घटनाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है। इस क्षेत्र में कई बार इस प्रकार की घटना से भारी तबाही हुई है। अगस्त 2004 में कुल्लू जनपद के जंगलों में बादल फटने की घटना सुर्खियों में रही थी, तब इस घटना से आई बाढ़ के कारण समीपस्थ क्षेत्र में सुरंग बनाने में लगे मजदूर सुरंग के मुख में गाद भर जाने के कारण उसके अंदर फंस गए थे।

यह प्राकृतिक आपदा हिमालय पर्वत श्रृंखला की विशिष्ट भौगोलिक कारकों से प्रभावित होती है। बादल फटने की घटना के संबंध में मौसम वैज्ञानिकों द्वारा वायुदाब, आर्द्रता और वायु की गति आदि विभिन्न मौसम संबंधी कारकों का अध्ययन द्वारा इस प्राकृतिक आपदा के बारे में अनुमान लगाने का प्रयत्न किया जाता है।

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