ब्रिटेन में कपास उद्योग के विकास से भारत के कपड़ा उत्पादकों पर किस तरह के प्रभाव पड़े?
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भारत के कपड़ा उत्पादकों पर प्रभाव|
- अब भारतीय कपड़े को यूरोप और अमरीका के बाजारों में ब्रिटिश उद्योगों में बने कपड़ों से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती थी।
- भारत से इंग्लैंड को कपड़े का निर्यात कठिन हो गया, क्योंकि ब्रिटिश सरकार ने भारत से आने वाले कपड़े पर भारी सीमा शुल्क लगा दिए थे।
- ब्रिटिश और यूरोपीय कंपनियों ने भारतीय माल खरीदना बंद कर दिया और उसके एजेंटों ने तयशुदा आपूर्ति के लिए बुनकरों को पेशगी देना बंद कर दिया।
- इंग्लैंड में बने सूती कपड़े ने उन्नसवीं सदी की शुरुआत तक भारतीय कपड़े को अफ्रीका, अमरीका और यूरोप के परंपरागत बाजारों से बाहर कर दिया। इनकी वजह से हज़ारों बुनकर, लाखों सूत कातने वाली ग्रामीण महिलाएँ बेरोजगार हो गईं।
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