Political Science, asked by xnikita78, 7 months ago

ब्रिटिश भारत की स्वतंत्रता की घोषणा के बाद रियासतों के प्रति भारत सरकार का दृष्टिकोण क्या था​

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Answered by jaswanthsaichunduri1
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Answer:

Explanation:

स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद भारत ने फिर से आर्थिक विकास प्रारम्भ किया। स्वतन्त्रता प्राप्ति से 1991 की अवधि के दौरान नियोजन की रणनीति में सामाजिक न्याय के साथ आर्थिक संवृद्धि की दर को तीव्र गति प्रदान करने के लिये उत्पादन की प्रक्रिया के ढाचें में मिश्रित अर्थव्यवस्था को अपनाया गया। जिसमें सार्वजनिक क्षैत्र की सक्रिय भागीदारी तथा निजी क्षैत्र की नियमित नियंत्रित भागीदारी पर बल दिया गया। इसमें एकाधिकार की प्रवृतियों क निवारण हेतु एमआरटीपी जैसे प्रतिबंधात्मक कानूनों को अपनाया गया एवं प्र्रत्येक व्यक्ति के जीवन की आवश्यकताओं तक पहूच सुनिश्चित करने के लिये सार्वजनिक वितरण प्रणाली जैसी विधियो को लागू किया गया। इस काल में राज्य ने हस्तक्षेपवादी राज्य की अवधारणा को अपनाते हुए महालनोबिस रणनीति के माध्यम से भारी उद्योगो पर सार्वजनिक स्वामित्व के साथ साथ छोटे पेमाने के उद्योगो को भी संरक्षण दिया गया। तथा इनकी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये वित्तीय संस्थाओं की स्थापना व हथकरघा बोर्ड रेशम बोर्ड आयात निर्यात प्रोत्साहन जैसे उपाय अपनाये गए। आंतरिक क्षैत्र में घरेलू उद्योगो को विदेशी क्षैत्र की प्रतिस्पर्धा से सुरक्षा प्रदान करने के लिये आन्तरिक व्यापार रणनीति को अपनाया गया। सरकार की मौद्रिक तथा राजकोषीय नीतियों का एकमात्र उद्धेश्य बचत तथा निवेश को प्रोत्साहन मानकर इसके लिये बचतकर्ताओं को करों में छूट तथा बैकिग शाखाओं के विस्तार की योजना बनाई गई। विदेशी पूंजी पर प्रतिबंध लगायेे गए। जिसके लिये फेरा कानून लागू किया गया।  

1991 में राजकोषीय घाटे भुगतान शेष का संकट विदेशी विनिमय के भंडारों में गिरावट कीमतों में वृद्धि तथा सार्वजनिक क्षैत्र के उद्यमों के निराशाजनक प्रदर्शन के कारण नियोजन को नई दिशा प्रदान की गई। जिसमें हुए ठौस परिवर्तनों को आर्थिक सुधारों का नाम दिया गया। इसके अंतगर्त उदारीकरण निजीकरण वैश्वीकरण की नीतियों पर विकास की नियोजन रणनीति का नियोजित किया गया।  

वर्तमान में भारत ने मेक इन इंडिया, साइनिग इंडिया और विदेशी निवेश को प्रोत्साहित कर तेज गति से औधोगिक विकास कर रहा हैं।

इस प्रकार आर्थिक विकास के साथ साथ आर्थिक स्वतन्त्रता के माध्यम से देश का चहुमुखी विकास लक्ष्य रखा गया। इसमें धारणीय विकास के आधार पर निर्धारित की गई संवृद्धि  भावी पीढियों तक निरंतर रखने के लिये पर्यावरण विकास प्रदूषण रोकथाम तथा प्राकृतिक संसाधनों संरक्षण पर बल देकर आज हमारा भारत विश्व में सबसे तेज आर्थिक विकास दर के साथ विकास कर रहा है।

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