ब्रिटिश काल में कुटीर तथा हस्तकला उद्योग के कारणों का वर्णन कीजिए
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Explanation:
हस्तशिल्प उद्योगों का आशय क्या है
हस्तशिल्प उद्योग का आशय कैसे शिल्प से है जो कारीगरों के हाथों के हुनर पर आधारित होता है, यह एक व्यक्ति के कलात्मक प्रतिभा का परिचायक होता है| भारत में अंग्रेजों के आने के पहले नगर एवं ग्रामीण स्तर पर हस्तशिल्प उद्योग का एक समृद्ध परंपरा विद्यमान था,जिसका मांग यूरोपीय देशों में भी अधिक था ,लेकिन यह परंपरा ब्रिटिश सरकार के स्थापना के प्रक्रिया में धीरे धीरे लुप्त होता गया, और इस प्रक्रिया को विऔद्योगिकरण की प्रक्रिया कहां जाता है, "अन औद्योगिकरण" के नाम से भी जाना जाता है|
सवाल यह है कि इस प्रक्रिया के लिए कौन जिम्मेदार है?
1.1757 में ब्रिटिश कंपनी द्वारा प्लासी विजय के बाद बंगाल में राजनीतिक सत्ता पर अप्रत्यक्ष नियंत्रण स्थापित हो गया, जो क्रमशः बढ़ता गया, ब्रिटिश कंपनी ने अपनी राजनीतिक सत्ता का प्रयोग अपने अपनी औपनिवेशिक आर्थिक हितों के मध्यनजर करना शुरु किया और इससे क्रम में वह देशी बुनकरों के ऊपर अपना नियंत्रण आरोपित करते हुए, उनके काम की आजादी, उनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं के मूल्य निर्धारण करने का अधिकार को छीन लिया, और इस तरह भारत में देशी बुनकर उद्योग को समाप्त होने के कगार पर ला दिया|
2. ब्रिटेन में होने वाली औद्योगिक क्रांति ने भारतीय परंपरागत हस्तशिल्प उद्योग को गहरा चोट पहुंचाया, क्योंकि इस क्रांति के बाद ब्रिटिश उद्योगों के लिए भारत से कच्चा माल का निर्यात होने लगा और पुनः ब्रिटेन में निर्मित वस्तुओं के लिए भारत को एक बाजार किया जाने लगा| जो कि भारतीय हस्तशिल्प उद्योगों के विकास के लिए सकरात्मक नहीं था|
3.ब्रिटेन में औद्योगिक क्रांति के क्रम में एक सशक्त मध्य वर्ग उभर कर आया, और उसी मध्य वर्ग के दबाव में भारत में 1813 के अधिनियम के माध्यम से मुफ्त बाजार की नीति एक ऐसे समय में लागू किया गया, जब भारतीय परंपरागत हस्तशिल्प उद्योग अपना दम तोड़ रही थी|
4. भारतीय हस्तशिल्प उद्योगों के विनाश में औपनिवेशिक सरकार की प्रशुल्क नीति भी केंद्रीय भूमिका निभाया, जैसे:- भारत से ब्रिटेन में आयात होने वाले वस्तु पर भारी आयात कर लगाना, जबकि ब्रिटेन से भारत में आयात होने वाले वस्तुओं के ऊपर या तो कोई कर नहीं लगाना, या संकेतिक कर लगाना| यह असंगत प्रशुल्क नीति केवल साम्राज्यवादी सरकार के आर्थिक हितों को ही प्रोत्साहित कर सकती थी|
5. स्मरणीय है ,कि उपयोगितावाद एवं आधुनिकीकरण के नाम पर आधुनिक शिक्षा को प्रारंभ करने के पीछे का मुख्य उद्देश्य भी साम्राज्यवादी था, क्योंकि इस शिक्षा के माध्यम से ब्रिटिश कंपनी परंपरागत भारतीय समाज के स्वरूप में परिवर्तन लाना चाहती थी| ताकि ब्रिटिश उत्पादित वालों के लिए एक अनुकूल बाजार प्राप्त हो सके|
रेलवे का विकास
रेलवे का विकास आधुनिक संचार साधन के रूप में एक सकारात्मक कदम था, लेकिन रेलवे के द्वारा संचार के क्षेत्र में उत्पन्न संचार के क्षेत्र में गतिशीलता ने भारतीय हस्तशिल्प की प्रक्रिया को त्वरित[ तेज] कर दिया|
देशी राज्यों की समाप्ति
भारतीय देशी राज्य भारतीय परंपरागत हस्तशिल्प उद्योग का संरक्षक भी थे, और उत्पादक वित्त है लेकिन अंग्रेजों के विस्तारवादी नीतियों के कारण इन देशी राज्यों का अस्तित्व ही समाप्त हो गए परिणाम स्वरुप संरक्षण एवं बाजार के अवसर पर भारतीय हस्तशिल्प उद्योग अपने देश में भी वंचित हो गए|