Hindi, asked by sourabhk86041, 3 days ago

ब्रिटिश काल से पूर्व भारतीय अर्थव्यवस्था कैसी थी​

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Answered by mohdhubaib77
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Answer:

बहुत प्राचीन काल से भारतवर्ष का विदेशों से व्यापार हुआ करता था। ... ये नगर भारतीय व्यापार से मालामाल हो गए। वे भारत का माल कुस्तुन्तुनिया की मंडी में खरीदते थे। इन नगरों की धन समृद्धि को देखकर यूरोप के अन्य राष्ट्रों को भारतीय व्यापार से लाभ उठाने की प्रबल इच्छा उत्पन्न इस इच्छा की पूर्ति में सफल न हो सके।

Answered by MohammadFazil123
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ब्रिटिश काल में भारत की अर्थव्यवस्था:

ब्रिटिश अर्थशास्त्री एंगस मैडिसन के अनुसार, विश्व अर्थव्यवस्था अर्थात् वैश्विक सकल घरेलू उत्पादन(GDPमें भारत की हिस्सेदारी 1700 में 24.4% से घटकर 1950 में 4.2% हो गई। भारत की जीडीपी (पीपीपी) प्रति व्यक्ति मुगल साम्राज्य के दौरान स्थिर रही और ब्रिटिश शासन की शुरुआत से पहले ही गिरावट शुरू हो गई।

वैश्विक औद्योगिक उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 1750 में 25% से घटकर 1900 में 2% हो गई। इसी समय, विश्व अर्थव्यवस्था में यूनाइटेड किंगडम का हिस्सा 1700 में 2.9% से बढ़कर 1870 में 9% हो गया, और ब्रिटेन ने भारत को 19 वीं शताब्दी में दुनिया के सबसे बड़े कपड़ा निर्माता के रूप में प्रतिस्थापित किया।

भारतीय अर्थव्यवस्था जनसंख्या वृद्धि के अनुरूप 1890 से 1910 तक प्रति वर्ष लगभग 1% बढ़ी

औपनिवेशिक शासकों ने कभी भी भारत की राष्ट्रीय तथा प्रतिव्यक्ति आय का आकलन करने का ईमानदारी से प्रयास नहीं किया।फिर भी देश की राष्ट्रीय तथा प्रति व्यक्ति आय का आकलन निजी स्तर पर दादा भाई नौरोजी,विलियम डिग्बी,फिंडले शिराज,डॉ वी.के. आर .वी.राव तथा आर.सी. देसाई ने किया।इनमें डॉ राव द्वारा लगाए गए अनुमान बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इनके अनुसार बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में भारत की राष्ट्रीय आय की वार्षिक वृद्धि दर 2% से कम तथा प्रति व्यक्ति उत्पाद वृद्धि दर मात्र आधा प्रतिशत ही रही है।

देश की राष्ट्रीय तथा प्रति व्यक्ति आय का आकलन निजी स्तर पर दादा भाई नौरोजी विलियम डिग्री हिंदले सिराज डॉक्टर वीके आरवी राव तथा आरसी देसाई 1820 में भारत की जीडीपी विश्व का कुल 16% थी, 1870 तक यह गिरकर 12% हो गई और 1947 तक 4% तक गिर गई थी। भारत की प्रति व्यक्ति आय ब्रिटिश राज के दौरान अधिकांशतः स्थिर रही, इसकी अधिकांश जीडीपी वृद्धि का विस्तार आबादी से हुआ। 1850 से 1947 तक भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 16% से थोड़ी ही बढ़ी,जो 533$(डॉलर) से बढ़कर 618$ हुई।(1990 के अंतर्राष्ट्रीय डॉलर में।)

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