ब्रिटिश लोगों की उपस्थिति में किस प्रकार आदिवासी को प्रभावित किया
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जैसा कि हम सब जानते हैं कि प्लासी के युद्ध (1757) में अंग्रेजों की जीत के साथ भारत में पहली बार उनका आंशिक प्रभुत्व स्थापित हुआ. विदेशी शासन के विरुद्ध भारत के परम्परागत संघर्ष की सबसे नाटकीय परिणति 1857 के विद्रोह के रूप में हुई जिसके बारे में हम पहले के इस पोस्ट में पढ़ चुके हैं > 1857 की क्रांति
आज के इस पोस्ट में हम अंग्रेजों के विरुद्ध नागरिक, किसान, आदिवासी और धार्मिक विद्रोहों के बारे में पढ़ेंगे.
आशा है कि आप हमारे #Adhunik India के पोस्ट को पसंद कर रहे हैं. इससे जुड़े सभी नोट्स आपको इस लिंक से मिलेंगे > #Adhunik India
प्रारम्भिक विद्रोहों के कारण
सामाजिक कारण
जिस समय शहरी शिक्षित वर्ग ब्रिटिश राज के अन्दर फल-फूल रहा था, उस समाज का पिछड़ा वर्ग ब्रिटिश राज की नीतियों से बुरी तरह प्रभावित हो रहा था. बाद में जाकर इसी वर्ग ने ब्रिटिश राज का विरोध किया.
कई विद्रोह बेदखल कर दिए गये जमींदारों, भूस्वामियों ने भी किये. इन विद्रोहों को जनाधार और शक्ति हमेशा किसानों, दस्तकारों और राजाओं व नवाबों की विघटित सेनाओं से मिलती थी.
आर्थिक कारण
ब्रिटिश राज द्वारा अर्थव्यवस्था, प्रशासन और भू-राजस्व प्रणाली में तेजी से किये गये बदलाव इन विद्रोहों के मुख्य कारण थे. ब्रिटिश राज द्वारा किये गये इन परिवर्तनों के चलते भारत के किसानों का जीवन कष्टमय हो गया. अधिक से अधिक लगान वसूले जाने पर किसानों के मन में ब्रिटिश राज के विरुद्ध भावना उग्र हो गई. भारत में मुक्त व्यापार लागू करने और भारतीय उत्पादकों से मनमाने ढंग कर वसूलने के चलते भारतीय दस्तकारी उद्योग का सर्वनाश हो गया.
राजनीतिक कारण
नए कानून तंत्रों और अदालतों ने गरीब किसानों की जमीनों से बेदखली को और भी प्रोत्साहन दिया. छोटे-छोटे अधिकारी गरीबों से धन की वसूली करते थे. पुलिस भी इन्हें प्रताड़ित किया करती थी. भारतीयों की सदियों पुरानी परम्पराओं और स्थानीय रियासतों के प्रति उनकी वतनपरस्ती से अंग्रेजी राज कहीं भी मेल नहीं खाता था.
धार्मिक कारण
भारत में अंग्रेजों ने ईस्ट इंडिया कंपनी के शासनकाल में भारतीयों पर धार्मिक दृष्टि से भी चोट पहुंचाया था. इस काल में योग्यता से अधिक धर्म को वरीयता दी जाती थी. जो भी भारतीय व्यक्ति ईसाई धर्म को अपना लेता उसे आसानी सरकारी नौकरी दे दी जाती और पदोन्नति भी प्रदान की जाती थी. इससे भारतीय जनसाधारण में अंग्रेजों के प्रति धार्मिक असहिष्णुता की भावना उत्पन्न होने में देर नहीं लगी.