History, asked by ramubhadoriya467, 3 days ago

ब्रिटिश संसद की भावना जी को पुरुष नहीं बना सकती और सब कुछ कर सकती है प्रश्न का उत्तर दीजिए​

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Answered by vishnuvishwakarma894
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वृहत ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड की संयुक्त अधिराज्य की संसद या ब्रिटिश संसद (अंग्रेज़ी: Parliament of the United Kingdom; पार्लियामेंट ऑफ़ दी यूनाइटेड किंगडम) युनाइटेड किंगडम की सर्वोच्च विधायी संस्था है। सम्पूर्ण ब्रिटिश प्रभुसत्तात् प्रदेश में वैधिक नियमों को बनाने, बदलने तथा लागु करने का संपूर्ण तथा सर्वोच्च विधिवत अधिकार केवल तथा केवल संसद के ही अधिकारक्षेत्र के व्यय पर विद्यमान है (संसदीय सार्वभौमिकता)। ब्रिटिश संसद एक द्विसदनीय विधायिका है अतः इसमें दो सदन मौजूद हैं, क्रमशः हाउस ऑफ लॉर्ड्स (प्रभु सदन) और हाउस ऑफ़ कॉमन्स (आम सदन)। [3] हाउस ऑफ लॉर्ड्स में दो प्रकार के लोग शामिल है-लॉर्ड्स स्पिरित्च्वल और लॉर्ड्स टेम्परल। अक्तूबर २००९ में सर्वोच्च न्यायालय के उद्घाटन के पहले, हाउस ऑफ लॉर्ड्स की लॉ लॉर्ड्स नामक सदस्यों के माध्यम से एक न्यायिक भूमिका भी हुआ करती थी। लंदन में वेस्टमिनिस्टर पैलेस में दो सदनों अलग-अलग कक्षों में बैठीं हैं। ब्रिटिश संविधान और विधि में ब्रिटिश संप्रभु को भी ब्रिटिश संसद का हिस्सा माना जाता है, एवं विधिक रूप से, संसद की सभी शक्तियाँ, मैग्ना कार्टा के तहत, संप्रभु द्वारा ही निहित और अवक्रमित की गयी हैं। अतः ब्रिटिश संप्रभु का भी संसद में महत्वपूर्ण विधिक एवं पारंपरिक भूमिका है। संसद का गठन १७०७ में किया गया था। ब्रिटेन की संसद ने विश्व के कई लोकतंत्रों के लिए उदाहरण थी। इसलिए यह संसद "मदर ऑफ पार्लियामेन्ट" कही जाती है।[4]

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