ब्रिटिश शासन का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा
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भारत में हिंदू राष्ट्रवाद के निकृष्टतम स्वरूप हिंदुत्व की विचारधारा का बोलबाला स्थापित हो गया है। थरूर ने कहा कि अंग्रेजों ने भारत के संसाधनों का इस्तेमाल, ब्रिटेन को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने के लिए किया और वहां की औद्योगिक क्रांति के लिए धन भी भारत से ही जुटाया गया। .
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अंग्रेजी राज की स्थापना
भारत में अंग्रेजों का साम्राज्य किस प्रकार स्थापित हुआ ?
इस बारे में तो यही कहा जा सकता है कि जब मुगल, मराठा और अफगान ये तीनों शक्तियां आपस में द्वंदरत थी, तब भारत में अंग्रेजों का प्रादुर्भाव हुआ। अंग्रेजों ने इन शक्तियों के साथ संघर्ष करके अंततः भारत में उन सभी शक्तियों को शांत कर अपना साम्राज्य स्थापित किया। उस काल में भारत कई भागों व विचारों में बंटा था। हिंदू-मुसलमान, वंश-कुलवंश, जात-पात, अमीर-गरीब आदि इस बंटवारे का आधार था। यह कहा कहा जा सकता है कि उस समय भारत की ऐसी स्थिति थी और पराधीनता ही उसकी नियति में था।
18वीं सदी के प्रारंभ में ही मुगल साम्राज्य का केंद्रीय ढांचा टूटने लगा था। मुगल शासक भारत को एक केंद्रीय शक्ति बनाने के बिलकुल असफल रहे। मुगल न तो सैन्य दृष्टि से और न ही सांस्कृतिक दृष्टि से आम जनता में राष्ट्रभावना जाग्रत कर सके। मुगल राज्य के प्रति द्रोह-विद्रोह तो सामान्य घटनाक्रम की तरह हो गए। कालांतर में मुगल सम्राट कपड़े की तरह बदले जाने लगे। मुगल राज्य स्वार्थ व षड्यंत्र के केंद्र बन गए। उधर बंगाल, अवध और दक्कन लगभग स्वतंत्र हो गए, अब वे अपने फायदे व साम्राज्य विस्तार के लिए मुगल शासकों की अनदेखी कर यूरोपीय शक्तियों से गठजोड़ करने लगे। 1739 में नादिरशाह के आक्रमण के पश्चात् भारत में मुगल शासन पूर्णतया धराशाई हो गया। उसके पश्चात भारत में साम्राज्य के लिए तीन प्रमुख दावेदारों मराठों, मुगलों और अफगानों के बीच तीन कोणीय संघर्ष हुआ। इस संघर्ष का परिणाम यह हुआ कि शक्तिशाली और चतुर माने जाने वाले अंग्रजों ने इसका फायदा उठाया और हिंदुस्तान के लावारिस जागीर के वारिस बन गए। कालांतर में अंग्रेजों ने दक्षिण भारत में स्थित तीन शक्तियों मैसूर, मराठों व निजाम को परास्त किया तथा अपना अधिकार जमाया। इस योजनाबद्ध ढंग से अंग्रेजों ने भारत में अपना पूर्ण साम्राज्य स्थापित किया। हालांकि अंग्रेजों को इसे अमल में लाने में करीब सौ वर्ष लग गए।
इतिहासकारों की मानें तो उस समय अंग्रेज तात्कालिक भारतीय समाज से भौतिक सभ्यता व तकनीक के क्षेत्र में बहुत आगे थे। अंग्रेजी समाज अनुशासित थे, जबकि भारतीय अनुशासन क्या होता है जानते ही नहीं थे। सैन्य क्षेत्र में भी यही स्थिति थी। अंग्रेजी सेना जहां एक ओर पेशेवर थी और अनुशासन में रहकर युद्ध आदि कार्यों को अंजाम देती थी, वहीं भारतीय सैनिक कभी-कभी युद्ध क्षेत्र से भाग जाते थे और बिलकुल पेशेवर नहीं थे। राजनीतिक स्थिति की बात करे तो वह भी उसी तरह थी। अंग्रेज नेता अपने देश का प्रतिनिधित्व करते थे न कि व्यक्तिगत पहचान बनाते थे। दूसरी ओर भारतीय नेता अपनी सियासत का प्रतिनिधित्व करते थे और अपनी व्यक्तिगत पहचान बनाते थे। भारतीय नेता अपने स्वार्थ हेतु आपस में लड़ते रहते थे और षडयंत्र में शामिल रहते थे।
अंग्रेजी शासन का प्रभाव
भारत में अंग्रेजों के शासनकाल को कुछ इतिहासकारों ने सकारात्मक दृष्टिकोण से देखा है। उनके मुताबिक भारत में अंग्रेजी शासन का सार्थक प्रभाव पड़ा। वे मानते हैं कि इससे पूर्व भारत एक अंधे दौर से गुजर रहा था। उस समय भारतीय समाज कुरीतियों से भरा पड़ा था। भारतीय राजव्यवस्था और अर्थव्यवस्था कुव्यवस्था में जकड़ी हुई थी। अशिक्षा, निर्धनता, संप्रदायवाद, जातिवाद, बाल विवाह और असामाजिकता जैसे वातावरण में लिपटा हुआ था। इतिहासकारों का मानना है कि अंग्रेजी शासनकाल में इन कुरीतियों को एक तरह धो डाला था। भारत में अंग्रेजी शासन का क्या प्रभाव पड़ा, इस पर आज भी विद्वानों में चर्चा जारी है। दादा भाई नौरोजी जैसे राष्ट्रवादी ने इस बारे में कहा कि अंग्रेज भारत का शोषण कर रहे हैं तथा भारतीय धन का प्रवाह ब्रिटेन की ओर कर रहे हैं। नौरोजी के उक्त विचार भारता में अंग्रेजी साम्राज्य के उद्देश्यों का दर्पण हैं। भारत में अंग्रेजी शासन के प्रभाव को इस रूप में देखते हैं।
राजनीति क्षेत्र पर असर
अंग्रेजों के आने से पूर्व भारत का कोई स्थाई राजनीतिक स्वरूप नहीं था। देश कई प्रांतों में बिखरा हुआ था, जिसकी सीमाएं समय-समय पर परिवर्तन होती रहती थीं। परंतु अंग्रेजों द्वारा भारत में एक दृढ़ केंद्रीय सरकार के अधीन राजनीतिक एकता स्थापित करना बहुत बड़ी उपलब्धि थी। अंग्रेजों ने हिमालय से कन्याकुमारी और चटगांव से खैबर तक के भू-भाग को एक सीमा के अंदर ला खड़ा किया। कहा जाता है कि उस समय अंग्रेजों का भारत आगमन न होता तो वर्तमान भारत की सीमा क्या होती इसका निर्धारण कर पाना अभी भी समझ से परे है। इस प्रकार अंग्रेजों ने भारत के रूप में विशाल साम्राज्य स्थापित की जो मुगल शासन क्षेत्र से बहुत बड़ा था।
देश की राजनीति में अंग्रेजों ने स्थिरता और शांति भी स्थापित की। पहले से चली आ रही राजनितक खींचतान और आपसी द्वंद्व को अपनी साम्राज्यवादी नीति से खत्म कर दिया। अंग्रेजों के पास एक केंद्रीय सेना भी तैयार थी, जो पूर्ण अनुशासित थी, वहीं भारती सैनिक भाड़े के होते थे तथा मनमौजी थे। अंग्रेजों की एक पुलिस प्रणाली भी थी जो देश में शांति और व्यवस्था बनाए रखे में योगदान देती थी।
उल्लेखनीय है कि इन सारे सुधारों को अंग्रेज अपने राजनीतिक हित साधने के लिए किया, पर भारतीय इस प्रणाली की कमजोरियों के शिकार बने। इसके परिणामस्वरूप देश में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हवा तैयार हुई। अंग्रेजो ने पूरे देश में एक शासन प्रणाली अपनाई और अपने सुविधा के लिए भारत में सड़क, रेल और डाक-तार विभाग को बड़े पैमाने पर विकसित किया। इससे देश में आवागमन सुलभ हुआ और लोग से दूसरे के करीब आए तथा राष्ट्रीयता का फैलाव होने लगा।