बिरबल की चतुराई का एक किस्सा अपने शब्दों में लिखीए
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अकबर अपने दरबार में बैठे थे। उसी समय एक व्यापारी आया। उसने अकबर से रोते हुए कहा, ” हुजूर, मेरा नाम कन्हैया है। आज रात मेरे घर में चोरी हो गयी है।”
अकबर ने कन्हैया से पूछा, ” तुमको किसी पर शक है। ” कन्हैया ने कहा, “ नहीं हुजूर, मुझे किसी पर शक नहीं है। ” अकबर ने बीरबल से कहा, ” क्या तुम पता लगा सकते हो कि इस ईमानदार व्यापारी के पैसे किसने चोरी किये है ?” बीरबल ने कहा, ” जहांपनाह, इस कार्य के लिए मुझे थोड़ा समय लगेगा।”
बीरबल ने कन्हैया के पास जाकर कहा, “तुम्हे तुम्हारा पैसा मिल जाएगा। मुझे वह जगह दिखाओ जहां तुम्हारे पैसे चोरी हुए थे।” कन्हैया उनको अपने घर लेकर गया। बीरबल ( Birbal ) कन्हैया के घर जाने के बाद पूछा, “तुम्हारे घर में कौन-कौन है ?” कन्हैया ने कहा, “मेरे घर में मेरे अलावा 5 नौकर है।”
बीरबल ने पूछा, “क्या वो लोग तुम्हारे कमरे में आते है ? ” इसपर कन्हैया ने कहा, ” हां, मगर वो लोग कई वर्षों से मेरे यहां काम कर रहे है। वो लोग अपना काम बहुत ही ईमानदारी के साथ करते है। इस वजह से उन लोगो पर शक नहीं किया जा सकता है।”
बीरबल कुछ समय शांत रहा। थोड़ी देर के बाद उसने कन्हैया को 5 छड़ी दी और कहा, ” इस छड़ी को अपने नौकरों को दे देना। जिसने भी चोरी की होगी उसकी छड़ी कल सुबह तक 1 इंच बड़ी हो जाएगी। कल सुबह उन लोगो को दरबार में लेकर आना।”
उस व्यापारी ने वैसा ही किया। दूसरे दिन वह व्यापारी अपने 5 नौकरों के साथ दरबार में आया। सबकी छड़ी व्यापारी के हाथ में थी। बीरबल ने व्यापारी से सबकी छड़ी लिया। उन्होंने देखा कि उसमे से एक छड़ी छोटी थी। बीरबल ने कन्हैया से पूछा, “यह छड़ी तुमने किसको दी थी ?”
कन्हैया ने कहा, “यह छड़ी मैंने रवि नाम के एक नौकर दिया था।” बीरबल ने कहा, “तुम्हारा पैसा उसी ने चुराया है क्योकि उसकी छड़ी छोटी है।”अकबर ( Akbar ) ने उसे तुरंत बंदी बनाने का हुक्म दिया।