बिरह भुवंगम तन बसै, मंत्र न लागै कोइ।
राम बियोगी ना जिवै, जिवै तो बौरा होइ। please tell me the meaning of this
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जैसे साप काटता है तो कोई मंतर तंतर कम नहीं आता , वैसे ही राम के नाम बिना आदमी नहीं जीता और जीता भी है तो पागल हो जाता है
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