ब्रह्म समाज की स्थापना क्यों हुई?
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ब्राह्म समाज भारत का एक सामाजिक-धार्मिक आन्दोलन था जिसने बंगाल के पुनर्जागरण युग को प्रभावित किया। इसके प्रवर्तक, राजा राममोहन राय, अपने समय के विशिष्ट समाज सुधारक थे। 1828 में ब्रह्म समाज को राजा राममोहन और द्वारकानाथ टैगोर ने स्थापित किया था।
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राजा राम मोहन राय को आधुनिक भारत का जनक माना जाता है जिन्होंने 1828 में प्रथम धार्मिक सुधार संगठन यानी ब्रह्म समाज की स्थापना की थी। ब्राह्मो समाज के दो सबसे प्रमुख नेता देवेंद्रनाथ टैगोर और केशब चंद्र सेन थे। धार्मिक सुधार के क्षेत्र में उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि थी। 1828 में ब्रह्म सभा की स्थापना हुई और ब्रह्म समाज धार्मिक सुधारों का पहला महत्वपूर्ण संगठन था। इसने मूर्ति-पूजा को रोक दिया और निरर्थक संस्कारों और अनुष्ठानों को त्याग दिया। समाज ने भी अपने सदस्यों को किसी भी धर्म पर हमला करने से मना किया था।
समाज सुधार के क्षेत्र में सबसे बड़ी उपलब्धि 1829 में सती प्रथा का उन्मूलन था। उसने देखा था कि कैसे उसके बड़े भाई की पत्नी को सती होने के लिए मजबूर किया गया था। सती के खिलाफ उनके अभियान ने रूढ़िवादी हिंदुओं के विरोध को जगा दिया, जिन्होंने उन पर कड़ा प्रहार किया। राम मोहन राय ने महसूस किया कि सती प्रथा हिंदू महिलाओं की अत्यंत निम्न स्थिति के कारण थी। उन्होंने बहुविवाह के उन्मूलन की वकालत की, और चाहते थे कि महिलाओं को शिक्षित किया जाए और उन्हें विरासत में संपत्ति का अधिकार दिया जाए।